Thursday, December 20, 2012

Murli [20-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम रूहानी आशिक हो - एक माशुक परमात्मा के, तुम्हें एक को ही दिल से याद करना है, दिल की प्रीत एक बाप से रखनी है'' 
प्रश्न:- महावीर बच्चों की स्थिति और पुरुषार्थ क्या होगा - उसकी निशानी सुनाओ? 
उत्तर:- वह योग से आत्मा को पवित्र (सतोप्रधान) बनाने का पुरुषार्थ करते रहेंगे। उन्हें बाकी कोई भी बात की परवाह नहीं होगी। उनकी बुद्धि में रहेगा कि अब पुरानी दुनिया से नई दुनिया में ट्रांसफर होना है। वह विनाश से डरेंगे नहीं। उनके दिल के अन्दर रूहानी प्यार की आग रहेगी। वह पुरुषार्थ करते-करते रुद्र माला का दाना बन जायेंगे। 
गीत:- न वह हमसे जुदा होंगे... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) पढ़ाई अच्छी तरह पढ़नी और पढ़ानी है। सच्चा आशिक बन एक बाप से रूहानी लव रखना है। कोई भी विकर्म नहीं करने हैं। 
2) कोई भी विघ्न या आपदायें आयें लेकिन बाप से मुँह नहीं मोड़ना है। विघ्नों को पार कर पहलवान बनना है। 
वरदान:- सर्व प्राप्तियों की स्मृति से उदासी को तलाक देने वाले खुशियों के खजाने से सम्पन्न भव 
संगमयुग पर सभी ब्राह्मण बच्चों को बाप द्वारा खुशी का खजाना मिलता है, इसलिए कुछ भी हो जाए-भल यह शरीर भी चला जाए लेकिन खुशी के खजाने को नहीं छोड़ना। सदा सर्व प्राप्तियों की स्मृति में रहना तो उदासी को तलाक मिल जायेगी। धन्धेधोरी में भल नुकसान भी हो जाए तो भी मन में उदासी की लहर न आये क्योंकि अखुट प्राप्तियों के आगे यह क्या बड़ी बात है! अगर खुशी है तो सब कुछ है, खुशी नहीं तो कुछ भी नहीं। 
स्लोगन:- मास्टर दु:ख हर्ता, सुख कर्ता का पार्ट बजाने के लिए सर्व प्राप्तियों से सम्पन्न बनो।