Monday, December 17, 2012

Murli [17-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - यह सारी दुनिया रोगियों की बड़ी हॉस्पिटल है, बाबा आये हैं सारी दुनिया को निरोगी बनाने'' 

प्रश्न:- कौन-सी स्मृति रहे तो कभी भी मुरझाइस वा दुःख की लहर नहीं आ सकती है? 
उत्तरः- अभी हम इस पुरानी दुनिया, पुराने शरीर को छोड़ घर में जायेंगे फिर नई दुनिया में पुनर्जन्म लेंगे। हम अभी राजयोग सीख रहे हैं - राजाई में जाने के लिए। बाप हम बच्चों के लिए रूहानी राजस्थान स्थापन कर रहे हैं, यही स्मृति रहे तो दुःख की लहर नहीं आ सकती। 
गीतः- तुम्हीं हो माता..... 

धारणा के लिए मुख्य सारः- 
1) जैसे बाप सदैव आत्म-अभिमानी हैं, ऐसे आत्म-अभिमानी रहने का पूरा-पूरा पुरूषार्थ करना है। एक बाप को दिल से प्यार करते-करते बाप के साथ घर चलना है। 
2) बेहद के बाप का पूरा-पूरा रिगार्ड रखना है अर्थात् बाप के फरमान पर चलना है। बाप का पहला फरमान है - बच्चे अच्छी रीति पढ़कर पास हो जाओ। इस फरमान को पालन करना है। 

वरदानः- विजयीपन के नशे द्वारा सदा हर्षित रहने वाले सर्व आकर्षणों से मुक्त भव 
विजयी रत्नों का यादगार - बाप के गले का हार आज तक पूजा जाता है। तो सदा यही नशा रहे कि हम बाबा के गले का हार विजयी रत्न हैं, हम विश्च के मालिक के बालक हैं। हमें जो मिला है वह किसी को भी मिल नहीं सकता-यह नशा और खुशी स्थाई रहे तो किसी भी प्रकार की आकर्षण से परे रहेंगे। जो सदा विजयी हैं वो सदा हर्षित हैं। एक बाप की याद के ही आकर्षण में आकर्षित हैं। 
स्लोगनः- एक के अन्त में खो जाना अर्थात् एकान्तवासी बनना।