Thursday, December 13, 2012

Murli [13-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- "मीठे बच्चे - योगेश्वर बाप आये हैं तुम्हें राजयोग सिखलाने, इस योग से ही तुम विकर्माजीत बन भविष्य में विश्व महाराजा-महारानी बनते हो" 
प्रश्न:- विकर्मों से बचने के लिए कौन सी प्रतिज्ञा याद रखो? 
उत्तर:- मेरा तो एक शिवबाबा दूसरा न कोई। एक बाप से सच्चा रूहानी लव रखना है। यह प्रतिज्ञा याद रहे तो विकर्म नहीं होगा। माया देह-अभिमान में लाकर उल्टा कर्म कराती है। बाबा उस्ताद है, उसे याद कर माया से पूरी युद्ध करो तो हार नहीं हो सकती। 
प्रश्न:- बाप को अपने बच्चों प्रति कौन सी आश है? 
उत्तर:- जैसे लौकिक बाप चाहते हैं मैं बच्चों को ऊंच पढ़ाऊं, बेहद का बाप भी कहते हैं मैं अपने बच्चों को स्वर्ग की परी बना दूँ। बच्चे सिर्फ मेरी श्रीमत पर चले तो श्रेष्ठ बन जायें। 
गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ...... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) कोई भी भूत अन्दर प्रवेश न हो, इसकी सम्भाल रखनी है। कभी भी माया के तूफानों में मूँझना नहीं है। खराब आदतें निकाल देनी है। 
2) याद का चार्ट रखना है, साथ-साथ रूहानी सेवाधारी बन रूहों को ज्ञान का इन्जेक्शन लगाना है। 
वरदान:- परमात्म चिंतन के आधार पर सदा बेफिक्र रहने वाले निश्चयबुद्धि, निश्चिंत भव 
दुनिया वालों को हर कदम में चिंता है और आप बच्चों के हर संकल्प में परमात्म चिंतन है, इसलिए बेफिक्र हो। करावनहार करा रहा है आप निमित्त बन करने वाले हो, सर्व के सहयोग की अंगुली है इसलिए हर कार्य सहज और सफल हो रहा है, सब ठीक चल रहा है और चलना ही है। कराने वाला करा रहा है हमें सिर्फ निमित्त बन तन-मन-धन सफल करना है। यही है बेफिक्र, निश्चिंत स्थिति। 
स्लोगन:- सदा सन्तुष्टता का अनुभव करना है तो सबकी दुआयें लेते रहो।