Saturday, December 15, 2012

Murli [15-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अब कलियुग की रात पूरी हो रही है, नव-युग बनाने बाप आया है, इसलिए तुम जागो, बाप की याद से अपने विकर्म विनाश करो'' 
प्रश्न:- जिन बच्चों की बुद्धि सतोप्रधान बनती जाती है, उनकी निशानी क्या होगी? 
उत्तर:- उन्हें दूसरों को आप समान बनाने के ख्याल आते रहेंगे। वह अपना और दूसरों का कल्याण करने की युक्तियाँ रचते रहेंगे। दिन-रात सर्विस में लगे रहेंगे। 
प्रश्न:- तुम बच्चों को बड़े ते बड़ी कौन सी कारोबार मिली हुई है? 
उत्तर:- सारी दुनिया को बाप का परिचय देने की कारोबार बहुत बड़ी है। कोई भी आत्मा बाप के परिचय बिना रह न जाये। रात-दिन चिंतन चलता रहे कि कैसे किसको समझायें, शंखध्वनि करें। 
गीत:- जाग सजनियाँ जाग..... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) ज्ञान धन दान करने में मनहूस नहीं बनना है। अपनी और दूसरों की उन्नति के लिए युक्तियाँ निकालनी हैं। 
2) मनुष्य से देवता बनने की पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है। सर्विस और पढ़ाई पर पूरा अटेन्शन देना है। कड़े हिसाब-किताब को योगबल से चुक्तू करना है। 
वरदान:- हर खजाने को स्व प्रति और सर्व प्रति कार्य में लगाने वाले अनुभवी मूर्त भव 
समाने की शक्ति को धारण कर सर्व खजानों से सम्पन्न बन उन्हें स्व के कार्य में अथवा अन्य की सेवा के कार्य में यूज़ करो। खजानों को यूज़ करने से अनुभवी मूर्त बनते जायेंगे। सुनना, समाना और समय पर कार्य में लगाना-इसी विधि से अनुभव की अथॉरिटी बन सकते हो। जैसे सुनना अच्छा लगता है, प्वाइन्ट बड़ी अच्छी शक्तिशाली है, ऐसे उसे यूज़ करके शक्तिशाली विजयी बन जाओ तब कहेंगे अनुभवी मूर्त। 
स्लोगन:- गुणवान उसे कहा जाता-जो ग्लानि करने वालों को भी गुण माला पहनाता चले।