Wednesday, December 12, 2012

Murli [12-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - आपस में रूठकर कभी पढ़ाई को मत छोड़ना, पढ़ाई छोड़ना माना बाप को छोड़ देना'' 
प्रश्न:- सर्विस की वृद्धि न होने का कारण क्या है? 
उत्तर:- जब आपस में मतभेद होता है तब सर्विस वृद्धि को नहीं पाती। कोई-कोई बच्चे मतभेद में आकर पढ़ाई छोड़ देते हैं। बाबा सावधान करते हैं बच्चे मतभेद में नहीं आओ, कभी झरमुई झगमुई की बातें नहीं सुनो, एक बाप की सुनो, बाप को समाचार दो तो बाबा तुम्हें 16 कला सम्पूर्ण बनने की मत देंगे। 
प्रश्न:- पढ़ाई छोड़ने का पहला मुख्य कारण कौन सा बनता है? 
उत्तर:- नाम-रूप की बीमारी। जब किसी देहधारी के नाम रूप में फँसते हैं तो पढ़ाई में दिल नहीं लगती। माया इसी बात से हरा देती है - यही बहुत बड़ा विघ्न है। 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) आपस में वाह्यात (व्यर्थ) बातें नहीं करनी है। कभी भी मतभेद में नहीं आना है, पढ़ाई किसी भी हालत में नहीं छोड़नी है। 
2) बाबा की अवज्ञा कभी नहीं करनी है। प्रतिज्ञा कर उस पर कायम रहना है। सर्विस का सदा शौक रखना है। 
वरदान:- ज्ञान, गुण और शक्तियों रूपी खजाने द्वारा सम्पन्नता का अनुभव करने वाले सम्पत्तिवान भव 
जिन बच्चों के पास ज्ञान, गुण और शक्तियों का खजाना है वे सदा सम्पन्न अर्थात् सन्तुष्ट रहते हैं, उनके पास अप्राप्ति का नाम-निशान नहीं रहता। हद के इच्छाओं की अविद्या हो जाती है। वह दाता होते हैं। उनके पास हद की इच्छा वा प्राप्ति की उत्पत्ति नहीं होती। वह कभी मांगने वाले मंगता नहीं बन सकते। ऐसे सदा सम्पन्न और सन्तुष्ट बच्चों को ही सम्पत्तिवान कहा जाता है। 
स्लोगन:- मोहब्बत में सदा लवलीन रहो तो मेहनत का अनुभव नहीं होगा।