Monday, December 3, 2012

Murli [3-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - देह-अंहकार छोड़ देही-अभिमानी बनो, अपने कल्याण के लिए याद का चार्ट नोट करो, खास याद में बैठो, याद से ही विकर्म विनाश होंगे'' 
प्रश्न:- बाप ने तुम बच्चों को पहला-पहला कायदा कौन सा सुनाया है? 
उत्तर:- पहला कायदा है - सब कुछ देखते हुए बुद्धि चलायमान न हो। एक बाप की याद रहे। अपनी परीक्षा लेनी है कि मेरी वृत्ति देखने से खराब तो नहीं होती है? तुम्हें हाथ से काम करते दिल से बाप को याद करना है, इसमें आंखे बन्द करने की बात ही नहीं है। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) श्रीमत पर खुदाई-खिदमतगार बनना है। बाप का शो करने के लिए सबको घर का रास्ता बताना है। 
2) ट्रस्टी होकर सब कुछ सम्भालना है। किसी में भी ममत्व नहीं रखना है। मात-पिता के मुआफ़िक इज्जत से पास होना है। 
वरदान:- यथार्थ सेवा द्वारा सेवा का प्रत्यक्ष फल खाने वाले मन-बुद्धि से सदा तन्दरूस्त भव 
यदि सेवा योगयुक्त और यथार्थ है तो सेवा का फल खुशी, अतीन्द्रिय सुख, डबल लाइट की अनुभूति अथवा बाप के कोई न कोई गुणों की अनुभूति प्रत्यक्षफल के रूप में जरूर होती है। और जो प्रत्यक्षफल खाते हैं वह मन-बुद्धि से सदा तन्दरूस्त रहते हैं। अगर कमजोर रहते हैं तो समझो ताजा प्रत्यक्षफल नहीं खाते। प्रत्यक्षफल सदा हेल्दी बनाता है। इसलिए आपका स्लोगन है - एवरहेल्दी, एवरवेल्दी और एवरहैपी। 
स्लोगन:- अपने हर कर्म द्वारा ब्रह्मा बाप के कर्म को प्रत्यक्ष करने वाले ही कर्मयोगी हैं।