Wednesday, December 19, 2012

Murli [19-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें अच्छे संस्कार धारण कर पतितों को पावन बनाने की सर्विस करनी है, अंधों की लाठी बनना है'' 
प्रश्न:- पिछाड़ी के समय कौन सी अवस्था आनी है? 
उत्तर:- पिछाड़ी के समय निरन्तर रूहानी यात्रा करते रहेंगे। बैठे-बैठे साक्षात्कार होंगे। बाप और वर्सा याद आता रहेगा। वैकुण्ठ देखते रहेंगे, बस अभी हम यह प्रालब्ध पायेंगे। हर्षित होते रहेंगे। परन्तु अच्छा पुरुषार्थ नहीं किया तो पछताना भी होगा। सज़ाओं का भी साक्षात्कार करेंगे। 
गीत:- रात के राही... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) रूहानी यात्रा पर रहने के लिए एक दो को सावधान करते रहना है। कर्मातीत अवस्था में जाने के लिए सारा दिन याद में रहने की मेहनत करनी है। 
2) कोई भी उल्टी चलन नहीं चलनी है। सबको सुखधाम का रास्ता बताना है। सर्विस का शौक रखना है।
वरदान:- सन्तुष्टता के आधार पर दुआयें देने और लेने वाले सहज पुरूषार्थी भव 
सर्व की दुआयें उन्हें मिलती हैं जो स्वयं सन्तुष्ट रहकर सबको सन्तुष्ट करते हैं। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ दुआयें हैं। यदि सर्व गुण धारण करने वा सर्व शक्तियों को कन्ट्रोल करने में मेहनत लगती हो, तो उसे भी छोड़ दो, सिर्फ अमृतवेले से लेकर रात तक दुआयें देने और दुआयें लेने का एक ही कार्य करो तो इसमें सब कुछ आ जायेगा। कोई दु:ख भी दे तो भी आप दुआयें दो तो सहज पुरूषार्थी बन जायेंगे। 
स्लोगन:- जो समर्पित स्थिति में रहते हैं उनके आगे सर्व का सहयोग स्वत: समर्पित हो जाता है।