Saturday, December 22, 2012

Murli [22-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप भल यहाँ तुम्हारे सम्मुख है लेकिन याद तुम्हें शान्तिधाम घर में करना है - तुम्हारा बुद्धियोग सदा ऊपर लटका रहे'' 
प्रश्न:- अहो भाग्य किन बच्चों का कहेंगे और क्यों? 
उत्तर:- जिन बच्चों की बुद्धि में बाप की नॉलेज आई, उनका है अहो भाग्य क्योंकि ज्ञान मिलने से सद्गति हो जाती है। तुम विश्व के मालिक बन जाते हो। बाकी जब तक ज्ञान नहीं है तब तक कोई शिवबाबा पर शरीर भी होम दे लेकिन प्राप्ति सिर्फ अल्पकाल की होती है। बाप का वर्सा नहीं मिलता है। भक्ति में भावना के चने मिल जाते हैं, सद्गति नहीं मिलती। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 1) घर-घर को मन्दिर बनाना है। परिवार वालों की भी सेवा करनी है। ऊंचे ज्ञान का सिमरण कर खुशी से झोली भरनी है। 
2) किसी भी देहधारी को याद नहीं करना है। अपना बुद्धियोग ऊपर लटकाना है। सुहावने संगमयुग पर जीते जी पारलौकिक बाप का बनना है। 
वरदान:- अल्पकाल के सहारे के किनारों को छोड़ बाप को सहारा बनाने वाले यथार्थ पुरूषार्थी भव 
अल्पकाल के आधारों का सहारा, जिसको किनारा बनाकर रखा है। यह अल्पकाल के सहारे के किनारे अभी छोड़ दो। जब तक ये किनारे हैं तो सदा बाप का सहारा अनुभव नहीं हो सकता और बाप का सहारा नहीं है इसलिए हद के किनारों को सहारा बना लेते हो। अल्पकाल की बातें धोखेबाज हैं, इसलिए समय की तीव्रगति को देख अब इन किनारों से तीव्र उड़ान कर सेकण्ड में क्रॉस करो-तब कहेंगे यथार्थ पुरूषार्थी। 
स्लोगन:- कर्म और योग का बैलेन्स रखना ही सफल कर्मयोगी बनना है।