Monday, December 24, 2012

Murli [24-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - शिवजयन्ती का त्योहार बड़े ते बड़ा त्योहार है, इसे तुम बच्चों को बहुत धूमधाम से मनाना है, जिससे सारी दुनिया को बाप के अवतरण का पता पड़े'' 
प्रश्न:- तुम बच्चों को किस बात में सुस्ती नहीं आनी चाहिए? अगर सुस्ती आती है तो उसका कारण क्या है? 
उत्तर:- पढ़ाई वा योग में तुम्हें जरा भी सुस्ती नहीं आनी चाहिए। लेकिन कई बच्चे समझते हैं सभी तो विजय माला में नहीं आयेंगे, सब तो राजा नहीं बनेंगे - इसलिए सुस्त बन जाते हैं। पढ़ाई पर ध्यान नहीं देते। लेकिन जिसका बाप से पूरा लॅव है वह एक्यूरेट पढ़ाई पढ़ेंगे, सुस्ती आ नहीं सकती। 
प्रश्न:- चलते-चलते कई बच्चों की अवस्था डगमग क्यों हो जाती है? 
उत्तर:- क्योंकि बाप को भूल देह-अहंकार में आ जाते हैं। देह-अहंकार के कारण एक दो को बहुत तंग करते हैं। चलन से ऐसा दिखाई पड़ता है जैसे देवता बनने वाला ही नहीं है। काम-क्रोध के वशीभूत हो जाते हैं। 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) बाप का मददगार बन, सभी को बाप का परिचय देने की युक्ति रचनी है। विचार सागर मंथन करना है। ज्ञान के नशे में रहना है। 
2) देह-अंहकार छोड़ देही-अभिमानी बनना है। अपनी सेवा दूसरों से नहीं लेनी है। माँ-बाप से रीस नहीं करनी है। उनके समान बनना है। 
वरदान:- निमित्त पन की स्मृति से हर पेपर में पास होने वाले एवररेडी, नष्टोमोहा भव 
एवररेडी का अर्थ ही है - नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप। उस समय कोई भी संबंधी अथवा वस्तु याद न आये। किसी में भी लगाव न हो, सबसे न्यारा और सबका प्यारा। इसका सहज पुरुषार्थ है निमित्त भाव। निमित्त समझने से ''निमित्त बनाने वाला'' याद आता है। मेरा परिवार है, मेरा काम है-नहीं। मैं निमित्त हूँ। इस निमित्त पन की स्मृति से हर पेपर में पास हो जायेंगे। 
स्लोगन:- ब्रह्मा बाप के संस्कार को अपना संस्कार बनाना ही फालो फादर करना है।