Tuesday, December 18, 2012

Murli [18-12-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - 3 बाप का राज़ सबको कहानी मिसल सुनाओ, जब तक बेहद बाप को पहचानकर पावन नहीं बने हैं तब तक वर्सा मिल नही सकता'' 
प्रश्न:- बाबा बिल्कुल ही नया है, उसने तुमको अपना कौन सा नया परिचय दिया है? 
उत्तर:- बाबा को मनुष्यों ने हजारों सूर्य से तेजोमय कहा लेकिन बाबा कहता मैं तो बिन्दी हूँ। तो नया बाबा हुआ ना। पहले अगर बिन्दी का साक्षात्कार होता तो कोई मानता ही नहीं इसलिए जैसी जिसकी भावना होती है उन्हें वैसा ही साक्षात्कार हो जाता है। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) योगबल से आत्मा को सतोप्रधान बनाकर एकरस कर्मातीत अवस्था तक पहुँचना है। याद की गुप्त मेहनत करनी है, एकान्त में पढ़ाई करनी है। 
2) बाप से मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा लेने के लिए इस अन्तिम जन्म में पवित्र जरूर बनना है। 
वरदान:- बाप की छत्रछाया के नीचे सदा सेफ्टी का अनुभव करने वाले सर्व आकर्षण मुक्त भव 
जैसे स्थूल दुनिया में धूप वा बारिश से बचने के लिए छत्रछाया का आधार लेते हैं, वह है स्थूल छत्रछाया और यह है बाप की छत्रछाया, जो आत्मा को हर समय सेफ रखती है। उसे कोई भी आकर्षण अपनी ओर आकर्षित कर नहीं सकती। दिल से बाबा कहा और सेफ। चाहे कैसी भी परिस्थिति आ जाए-छत्रछाया के अन्दर रहने वाले सदा सेफ्टी का अनुभव करते हैं। माया के प्रभाव का सेक-मात्र भी नहीं आ सकता। 
स्लोगन:- ऐसे स्व-राज्य अधिकारी बनो जो अधीनता समाप्त हो जाए।