Murli [10-12-2012]-Hindi
मुरली सार:- "मीठे बच्चे - कोई कितना भी गुणवान हो, मीठा हो, धनवान हो तुम्हें उसकी तरफ आकर्षित नहीं होना है, जिस्म को याद नहीं करना है"
प्रश्न:- जिन बच्चों को नॉलेज मिली है उनके मुख से बाप के प्रति कौन से मीठे बोल निकलते हैं?
उत्तर:- ओहो! बाबा आपने तो हमें जीयदान दे दिया। मीठे बाबा आपने हमें सृष्टि के आदि-मध्य-अन्त की नॉलेज देकर, सर्व दु:खों से छुड़ा दिया तो कितनी शुक्रिया निकलनी चाहिए।
प्रश्न:- अन्त के समय बाप के सिवाए किसी में भी रग न जाए उसके लिए क्या करना है?
उत्तर:- बाबा कहे बच्चे - कोई भी चीज़ लोभ के वश अपने पास एक्स्ट्रा नहीं रखनी है। एक्स्ट्रा रखेंगे तो उसमें रग जायेगी। बाप की याद भूल जायेगी।
गीत:- धीरज धर मनुवा.....
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) ज्ञान-योग से सबको मदद करनी है। डबल अहिंसक बनना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है।
2) नष्टोमोहा बनना है। किसी भी चीज़ में बुद्धि की रग नहीं रखनी है। एक बाप की याद सदा रहे- इसकी प्रैक्टिस करनी है।
वरदान:- श्रेष्ठ संस्कारों के आधार पर भविष्य संसार बनाने वाले धारणा स्वरूप भव
अभी के श्रेष्ठ संस्कारों से ही भविष्य संसार बनेगा। एक राज्य, एक धर्म के संस्कार ही भविष्य संसार का फाउण्डेशन हैं। स्वराज्य का धर्म वा धारणा है - मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सब प्रकार की पवित्रता। संकल्प वा स्वप्न मात्र भी अपवित्रता अर्थात् दूसरा धर्म न हो। जहाँ पवित्रता है वहाँ अपवित्रता अर्थात् व्यर्थ वा विकल्प का नामनिशान नहीं रहता, उन्हें ही धारणा स्वरूप कहा जाता है।
स्लोगन:- दृढ़ता की शक्ति कड़े संस्कारों को भी मोम की तरह पिघला देती है।