Saturday, September 29, 2012

Murli [29-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - जितना समय मिले सच्ची कमाई करो, चलते फिरते कर्म करते बाप की याद में रहना ही सच्ची कमाई का आधार है, इसमें कोई तकलीफ नहीं'' 
प्रश्न: जिन बच्चों में ज्ञान की पराकाष्ठा होगी, उनकी निशानी सुनाओ? 
उत्तर: जिनमें ज्ञान की पराकाष्ठा होगी उनकी सब कर्मेन्द्रियाँ शीतल हो जायेंगी। चंचलता समाप्त हो जायेगी। अवस्था एकरस हो जायेगी। मैनर्स सुधरते जायेंगे। 
प्रश्न:- शिवबाबा की याद बुद्धि में यथार्थ नहीं है तो रिजल्ट क्या होगी? 
उत्तर:- कोई न कोई विकर्म जरूर होगा। बुद्धि इतना भी काम नहीं करेगी कि हमारे द्वारा कोई विकर्म हो रहा है। बाप का फरमान न मानने के कारण धोखा खाते रहेंगे। 
गीत:- आखिर वह दिन आया आज... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) किसी भी बात में संशय उठाकर पढ़ाई नहीं छोड़नी है। बाप और वर्से को याद करना है। 
2) एक बाप से ही सुनना है, बाकी जो पढ़ा है वह सब भूल जाना है। हियर नो ईविल, सी नो ईविल, टॉक नो ईविल...। 
वरदान: बिन्दू रूप में स्थित रह उड़ती कला में उड़ने वाले डबल लाइट भव 
सदा स्मृति में रखो कि हम बाप के नयनों के सितारे हैं, नयनों में सितारा अर्थात् बिन्दू ही समा सकता है। आंखों में देखने की विशेषता भी बिन्दू की है। तो बिन्दू रूप में रहना - यही उड़ती कला में उड़ने का साधन है। बिन्दू बन हर कर्म करो तो लाइट रहेंगे। कोई भी बोझ उठाने की आदत न हो। मेरा के बजाए तेरा कहो तो डबल लाइट बन जायेंगे। स्व उन्नति वा विश्व सेवा के कार्य का भी बोझ अनुभव नहीं होगा। 
स्लोगन: विश्व परिवर्तक वह है जो निगेटिव को पॉजिटिव में परिवर्तन कर दे।