Thursday, September 20, 2012

Murli [20-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हारा नम्बरवन दुश्मन रावण है, जिस पर ज्ञान और योगबल से जीत पानी है, तमोप्रधान से सतोप्रधान जरूर बनना है'' 
प्रश्न: महीन ते महीन और गुह्य बात कौन सी है, जो तुम बच्चों ने अभी समझी है? 
उत्तर: सबसे महीन से महीन बात है कि यह बेहद का ड्रामा सेकण्ड बाई सेकण्ड शूट होता जाता है। फिर 5 हजार वर्ष बाद वही रिपीट होगा। जो कुछ होता है, कल्प पहले भी हुआ था। ड्रामा अनुसार होता है, इसमें मूँझने की बात ही नहीं। जो कुछ होता है - नथिंगन्यु। सेकण्ड बाई सेकण्ड ड्रामा की रील फिरती रहती है। पुराना मिटता जाता, नया भरता जाता है। हम पार्ट बजाते जाते हैं वही फिर शूट होता जाता है। ऐसी गुह्य बातें और कोई समझ न सके। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) सदा अपनी धुन में रहना है। अपने पापों को भस्म करने का ख्याल करना है। दूसरी बातों के प्रश्नों में नहीं जाना है। अपने संस्कारों को परिवर्तन करने के लिए योग की भट्ठी में रहना है। 
2) देह सहित सब कुछ त्याग पूरा ट्रस्टी हो श्रीमत पर चलना है। बाप का पूरा रिगार्ड रखना है, मददगार बनना है। 
वरदान: ब्राह्मण जीवन में कम खर्च बालानशीन करने वाले अलौकिकता सम्पन्न भव 
इस अलौकिक ब्राह्मण जीवन का विशेष स्लोगन है ''कम खर्च बालानशीन''। खर्चा कम हो लेकिन प्राप्ति शानदार हो अर्थात् रिजल्ट अच्छे से अच्छी हो। अलौकिकता सम्पन्न जीवन तब कहेंगे जब बोल में, कर्म में खर्च कम हो। कम समय में काम ज्यादा हो, कम बोल में स्पष्टीकरण ज्यादा हो, संकल्प कम हो लेकिन शक्तिशाली हों-इसको कहा जाता है कम खर्च बालानशीन। जो सर्व खजाने कम खर्च करते हैं उनके भण्डारे भरपूर हो जाते हैं। 
स्लोगन: बाप और सेवा से सच्चा प्यार है तो परिवार का प्यार स्वत: मिलता है।