09-09-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापददादा'' रिवाइज: 06-09-75 मधुबन
तीन कम्बाइन्ड स्वरूप
09-09-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापददादा'' रिवाइज: 09-09-75 मधुबन
ग्लानि को गायन समझकर रहमदिल बनो
वरदान: त्रिकालदर्शी स्थिति द्वारा मूंझने की परिस्थितियों को मौज में परिवर्तन करने वाले कर्मयोगी भव
जो बच्चे त्रिकालदर्शी हैं वे कभी किसी बात में मूंझ नहीं सकते क्योंकि उनके सामने तीनों काल क्लीयर हैं। जब मंजिल और रास्ता क्लीयर होता है तो कोई मूंझता नहीं। त्रिकालदर्शी आत्मायें कभी कोई बात में सिवाए मौज के और कोई अनुभव नहीं करती। चाहे परिस्थिति मुंझाने की हो लेकिन ब्राह्मण आत्मा उसे भी मौज में बदल देगी क्योंकि अनगिनत बार वह पार्ट बजाया है। यह स्मृति कर्मयोगी बना देती है। वह हर काम मौज़ से करते हैं।
स्लोगन: सर्व का सम्मान प्राप्त करना है तो हर एक को सम्मान दो।
तीन कम्बाइन्ड स्वरूप
09-09-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापददादा'' रिवाइज: 09-09-75 मधुबन
ग्लानि को गायन समझकर रहमदिल बनो
वरदान: त्रिकालदर्शी स्थिति द्वारा मूंझने की परिस्थितियों को मौज में परिवर्तन करने वाले कर्मयोगी भव
जो बच्चे त्रिकालदर्शी हैं वे कभी किसी बात में मूंझ नहीं सकते क्योंकि उनके सामने तीनों काल क्लीयर हैं। जब मंजिल और रास्ता क्लीयर होता है तो कोई मूंझता नहीं। त्रिकालदर्शी आत्मायें कभी कोई बात में सिवाए मौज के और कोई अनुभव नहीं करती। चाहे परिस्थिति मुंझाने की हो लेकिन ब्राह्मण आत्मा उसे भी मौज में बदल देगी क्योंकि अनगिनत बार वह पार्ट बजाया है। यह स्मृति कर्मयोगी बना देती है। वह हर काम मौज़ से करते हैं।
स्लोगन: सर्व का सम्मान प्राप्त करना है तो हर एक को सम्मान दो।