Friday, September 7, 2012

Murli [7-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सबको बाप का परिचय दे सुखदाई बनाओ, देही-अभिमानी बनो तो टाइम सफल होता रहेगा, विकर्मों से बचे रहेंगे'' 
प्रश्न: जिन बच्चों की बुद्धि को माया ताला लगा देती है-उनके मुख से कौन से बोल निकलते हैं? 
उत्तर: उनके मुख से यही बोल निकलते हैं कि हमारा तो डायरेक्ट शिवबाबा से कनेक्शन है। संगदोष के कारण उनकी मूढ़बुद्धि हो जाती है। सतगुरू का निंदक बन पड़ते हैं। जब कोई कहते हमारा डायरेक्ट कनेक्शन है तो उन्हें मुरली भी प्रेरणा से सुननी चाहिए। ऐसे निंदक बच्चे ठौर नहीं पाते। उनकी बुद्धि को माया ताला लगा देती है। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) हम ऊंचे ते ऊंच सर्वोत्तम ब्राह्मण कुल भूषण हैं - इस खुशी में रहना है। स्वयं भगवान बाप, टीचर, गुरू के रूप में हमें मिला है इस स्मृति में सदा हर्षित रहना है। 
2) किसी भी बात के दु:ख (ह्रास) में नहीं आना है। झरमुई झगमुई में समय बरबाद नहीं करना है। 
वरदान: सदा उमंग-उत्साह के पंखों द्वारा उड़ती कला की स्थिति का अनुभव करने वाले कर्मयोगी भव 
उमंग-उत्साह आप ब्राह्मणों के उड़ती कला के पंख हैं। अगर कार्य अर्थ नीचे भी आते हो तो उड़ती कला की स्थिति से, कर्मयोगी बन कर्म में आते हो। यह उमंग-उत्साह ब्राह्मणों के लिए बड़े से बड़ी शक्ति है। नीरस जीवन नहीं है। उमंग-उत्साह का रस है तो कभी दिलशिकस्त नहीं हो सकते, सदा दिलखुश। उत्साह, तूफान को भी तोहफा बना देता है। परीक्षा वा समस्या को मनोरंजन अनुभव कराता है। 
स्लोगन: जो अशरीरी स्थिति के अभ्यासी हैं उन्हें शरीर की आकर्षण आकर्षित नहीं कर सकती।