Thursday, September 27, 2012

Murli [27-09-2012]-Hindi

मीठे बच्चे - अब अपनी जीवन सुधार लो। बाप को उन बच्चों पर बहुत तरस पड़ता है जो बाप को याद करने के बजाए व्यर्थ चिंतन करते हैं। बाप को उन बच्चों पर बहुत तरस पड़ता है। बाबा कहते मीठे बच्चे - अब अपनी जीवन सुधार लो। व्यर्थ समय नहीं गँवाओ। तमोप्रधान से सतोप्रधान बनने के लिए सच्ची दिल से बाप को युक्तियुक्त याद करो, लाचारी याद नहीं करो। 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप जो सुनाते हैं उसे बहुत प्यार से आत्म-अभिमानी होकर सुनना है। सामने बैठकर बाप को देखते रहना है। झुटका नहीं खाना है। पढ़ाई में बहुत रूचि रखनी है। भोजन त्यागकर भी पढ़ाई जरूर करनी है। 
2) एक बाप को सच्चा दोस्त बनाना है, आपस में दुश्मनी समाप्त करने के लिए मैं आत्मा भाई-भाई हूँ, यह अभ्यास करना है। शरीर को देखते हुए भी नहीं देखना है। 
वरदान: मन और बुद्धि को सदा सेवा में बिज़ी रखने वाले निर्विघ्न सेवाधारी भव 
जो जितना सेवा का उमंग-उत्साह रखते हैं उतना निर्विघ्न रहते हैं क्योंकि सेवा में बुद्धि बिजी रहती है। खाली रहने से किसी और को आने का चांस है और बिजी रहने से सहज निर्विघ्न बन जाते हैं। मन और बुद्धि को बिजी रखने के लिए उसका टाइम-टेबल बनाओ। सेवा वा स्वयं के प्रति जो लक्ष्य रखते हो उस लक्ष्य को प्रैक्टिकल में लाने के लिए बीच-बीच में अटेन्शन जरूर चाहिए। अटेन्शन कभी टेन्शन में बदली न हो, जहाँ टेन्शन होता है वहाँ मुश्किल हो जाता है। 
स्लोगन: सेवा से जो दुआयें मिलती हैं-वही तन्दरूस्त रहने का साधन हैं।