Wednesday, September 26, 2012

Murli [26-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम फिर से राजयोग सीख रहे हो, तुम्हें भगवान फिर से पढ़ाते हैं, तुम राजाई के लिए यह पढ़ाई पढ़ रहे हो, अपनी एम-आब्जेक्ट सदा याद रखो'' 
प्रश्न: अभी तुम बच्चे कौन सी तैयारी बहुत खुशी से कर रहे हो? 
उत्तर: तुम अपना यह पुराना शरीर छोड़ बाप के पास जाने की तैयारी बहुत खुशी-खुशी से कर रहे हो। एक बाप की ही याद में शरीर छूटे, घुटका न खाना पड़े-ऐसी प्रैक्टिस यहाँ ही करनी है। तुम्हारी अभी स्टूडेन्ट लाइफ बेपरवाह लाइफ है, इसलिए घुटका प्रूफ बनना है। 
गीत:- रात के राही...... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) सदा तन्दरूस्त रहने के लिए याद में रहकर भोजन बनाना वा खाना है। भोजन करते समय स्मृति रहे - हम बाबा के साथ खा रहे हैं तो भोजन में ताकत भर जायेगी। 
2) देवता बनने के लिए शंखध्वनि करनी है। स्वदर्शन चक्र फिराते रहना है। कमल फूल समान पवित्र जीवन बनाना है। 
वरदान: दाता बन अखुट खजानों का दान करने वाले महादानी सो विश्व सेवाधारी भव 
सदा याद रखो कि बाप द्वारा जो भी अखुट खजाने मिले हैं, वह देने ही हैं। खजानों को कार्य में लगाओ। चाहे मन्सा, चाहे वाचा, चाहे सम्बन्ध-सम्पर्क में सफल करते चलो, दाता के बच्चे एक दिन भी देने के बिना रह नहीं सकते। विश्व सेवाधारी को हर दिन सेवा करनी ही है। अगर वाचा का चांस नहीं मिलता तो मन्सा करो, मन्सा नहीं कर सकते तो अपने कर्म वा प्रैक्टिकल लाइफ द्वारा करो। जितना आप मन्सा से, वाणी से, स्वयं सैम्पल बनेंगे तो सैम्पल को देखकरके स्वत: सब आकर्षित होंगे। 
स्लोगन: जिसके पास दृढ़ता की शक्ति है उसके लिए असम्भव भी सम्भव हो जाता है।