मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - दूरादेशी विशाल बुद्धि बन सर्विस करनी है, सच और झूठ का कान्ट्रास्ट सिद्धकर बताना है''
प्रश्न: महाभारत से कौन-कौन सी बातें सिद्ध होती हैं, महाभारत का अर्थ क्या है?
उत्तर: महाभारत अर्थात् अनेक धर्मों का विनाश और एक धर्म की स्थापना। 2- महाभारत का अर्थ ही है पाण्डवों की विजय, कौरवों की पराजय। 3- महाभारत लड़ाई से सिद्ध होता है कि जरूर भगवान भी होगा, जिसने रथ पर बैठ ज्ञान सुनाया। भगवान ने जरूर राजयोग सिखाया होगा जिससे राजाई स्थापन हुई। महाभारत अर्थात् जिसके बाद सतयुगी राजाई स्थापन हो। तुम बच्चे महाभारत पर अच्छी तरह से समझा सकते हो।
गीत:- यही बहार है दुनिया को भूल जाने की...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सर्विस के लिए विचार सागर मंथन करना है। थकना नहीं है। बहुतों के कल्याण की युक्तियां रचनी हैं।
2) लौकिक के बीच में रहते भी पारलौकिक बाप को याद करना है। श्रेष्ठ पुरूषार्थ से अपनी प्रालब्ध ऊंच बनानी है।
वरदान: अपने आक्यूपेशन की स्मृति से सेवा का फल और बल प्रापत करने वाले विश्व कल्याणकारी भव
कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलो। जैसे पाण्डवों ने गुप्त वेष में नौकरी की लेकिन नशा विजय का था। ऐसे आप भल गवर्मेन्ट सर्वेन्ट हो, नौकरी करते हो लेकिन नशा रहे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ तो इस स्मृति से स्वत: समर्थ रहेंगे और सदा सेवा भाव होने के कारण सेवा का फल और बल मिलता रहेगा। गाया हुआ है भावना का फल मिलता है तो आपकी सेवा-भावना अनेक आत्माओं को शान्ति, शक्ति का फल देगी।
स्लोगन: गॉडली स्टूडेण्ट स्वरूप सदा स्मृति में रहे तो माया आ नहीं सकती।
प्रश्न: महाभारत से कौन-कौन सी बातें सिद्ध होती हैं, महाभारत का अर्थ क्या है?
उत्तर: महाभारत अर्थात् अनेक धर्मों का विनाश और एक धर्म की स्थापना। 2- महाभारत का अर्थ ही है पाण्डवों की विजय, कौरवों की पराजय। 3- महाभारत लड़ाई से सिद्ध होता है कि जरूर भगवान भी होगा, जिसने रथ पर बैठ ज्ञान सुनाया। भगवान ने जरूर राजयोग सिखाया होगा जिससे राजाई स्थापन हुई। महाभारत अर्थात् जिसके बाद सतयुगी राजाई स्थापन हो। तुम बच्चे महाभारत पर अच्छी तरह से समझा सकते हो।
गीत:- यही बहार है दुनिया को भूल जाने की...
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) सर्विस के लिए विचार सागर मंथन करना है। थकना नहीं है। बहुतों के कल्याण की युक्तियां रचनी हैं।
2) लौकिक के बीच में रहते भी पारलौकिक बाप को याद करना है। श्रेष्ठ पुरूषार्थ से अपनी प्रालब्ध ऊंच बनानी है।
वरदान: अपने आक्यूपेशन की स्मृति से सेवा का फल और बल प्रापत करने वाले विश्व कल्याणकारी भव
कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलो। जैसे पाण्डवों ने गुप्त वेष में नौकरी की लेकिन नशा विजय का था। ऐसे आप भल गवर्मेन्ट सर्वेन्ट हो, नौकरी करते हो लेकिन नशा रहे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ तो इस स्मृति से स्वत: समर्थ रहेंगे और सदा सेवा भाव होने के कारण सेवा का फल और बल मिलता रहेगा। गाया हुआ है भावना का फल मिलता है तो आपकी सेवा-भावना अनेक आत्माओं को शान्ति, शक्ति का फल देगी।
स्लोगन: गॉडली स्टूडेण्ट स्वरूप सदा स्मृति में रहे तो माया आ नहीं सकती।