मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - शरीर पर कोई भरोसा नहीं, इसलिए जो शुभ कार्य करना है वह आज कर लो, कल पर नहीं छोड़ो''
प्रश्न: अपना खाना आबाद करने अर्थात् मालामाल होने की युक्ति क्या है?
उत्तर: शिवबाबा को अपना वारिस (बच्चा) बना दो तो वह तुम्हें 21 जन्मों के लिए मालामाल कर देंगे। यह एक ही है जो सबका बच्चा बन सबका खाना आबाद कर देते हैं। परन्तु कई डरते हैं, समझते हैं शायद सब कुछ देना पड़ेगा। बाबा कहते डरने की बात नहीं। तुम अपने बच्चों आदि को सम्भालो। उनकी पालना करो परन्तु याद इस बच्चे को करो तो तुमको लाल कर देगा। अगर इस बच्चे पर बलि चढ़े तो तुम्हारी बहुत सेवा करेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) माया ने जो बहुत बड़ी जाल बिछाई है, अब बाप की याद से उस जाल से निकलना है। शुभ कार्य में लग जाना है। किसी देहधारी की जाल में नहीं फॅसना है, सबसे ममत्व निकाल देना है।
2) ज्ञान की जो रोशनी मिली है वह सबको देनी है। देह-अभिमान को छोड़ भिन्न-भिन्न युक्तियों से सर्विस करनी है। अन्धों की लाठी बनना है।
वरदान: दृढ़ प्रतिज्ञा द्वारा अलबेलेपन के लूज़ स्क्रू को टाइट करने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव
प्रतिज्ञा में लूज़ होने का मूल कारण है-अलबेलापन। जैसे कितनी भी बड़ी मशीनरी हो लेकिन एक छोटा सा स्क्रू लूज़ हो जाता है तो सारी मशीन को बेकार कर देता है, वैसे प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, पुरूषार्थ भी करते हो लेकिन पुरूषार्थ वा प्लैन को कमजोर करने का स्क्रू एक ही है - अलबेलापन। वह नये-नये रूप में आता है। इसी लूज़ स्क्रू को टाइट करो। मुझे बाप समान बनना ही है-इसी दृढ़ संकल्प से तीव्र पुरूषार्थी बन जायेंगे।
स्लोगन: बेहद की वैराग्य वृत्ति ही समय की समीपता का फाउण्डेशन है।
प्रश्न: अपना खाना आबाद करने अर्थात् मालामाल होने की युक्ति क्या है?
उत्तर: शिवबाबा को अपना वारिस (बच्चा) बना दो तो वह तुम्हें 21 जन्मों के लिए मालामाल कर देंगे। यह एक ही है जो सबका बच्चा बन सबका खाना आबाद कर देते हैं। परन्तु कई डरते हैं, समझते हैं शायद सब कुछ देना पड़ेगा। बाबा कहते डरने की बात नहीं। तुम अपने बच्चों आदि को सम्भालो। उनकी पालना करो परन्तु याद इस बच्चे को करो तो तुमको लाल कर देगा। अगर इस बच्चे पर बलि चढ़े तो तुम्हारी बहुत सेवा करेगा।
धारणा के लिए मुख्य सार:
1) माया ने जो बहुत बड़ी जाल बिछाई है, अब बाप की याद से उस जाल से निकलना है। शुभ कार्य में लग जाना है। किसी देहधारी की जाल में नहीं फॅसना है, सबसे ममत्व निकाल देना है।
2) ज्ञान की जो रोशनी मिली है वह सबको देनी है। देह-अभिमान को छोड़ भिन्न-भिन्न युक्तियों से सर्विस करनी है। अन्धों की लाठी बनना है।
वरदान: दृढ़ प्रतिज्ञा द्वारा अलबेलेपन के लूज़ स्क्रू को टाइट करने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव
प्रतिज्ञा में लूज़ होने का मूल कारण है-अलबेलापन। जैसे कितनी भी बड़ी मशीनरी हो लेकिन एक छोटा सा स्क्रू लूज़ हो जाता है तो सारी मशीन को बेकार कर देता है, वैसे प्रतिज्ञा को पूरा करने के लिए प्लैन बहुत अच्छे बनाते हो, पुरूषार्थ भी करते हो लेकिन पुरूषार्थ वा प्लैन को कमजोर करने का स्क्रू एक ही है - अलबेलापन। वह नये-नये रूप में आता है। इसी लूज़ स्क्रू को टाइट करो। मुझे बाप समान बनना ही है-इसी दृढ़ संकल्प से तीव्र पुरूषार्थी बन जायेंगे।
स्लोगन: बेहद की वैराग्य वृत्ति ही समय की समीपता का फाउण्डेशन है।