Saturday, September 8, 2012

Murli [8-09-2012]-Hindi


मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम गॉडली स्टूडेन्ट हो, तुम्हें किसी भी हालत में एक दिन भी पढ़ाई मिस नहीं करनी है, पढ़ेंगे लिखेंगे तो बनेंगे नवाब'' 
प्रश्न: जिन बच्चों का मुरली पर पूरा अटेन्शन है उनकी निशानी क्या होगी? 
उत्तर: जो अटेन्शन देकर रोज़ मुरली सुनते हैं वही अच्छी तरह से जानते हैं - बाप कौन है और क्या है क्योंकि बाप के महावाक्य हैं कि मैं जो हूँ, जैसा हूँ, मुझे कोटो में कोई ही पहचानते। अगर पढ़ाई में अटेन्शन नहीं तो बुद्धि में बैठ नहीं सकता कि यह श्रीमत हमें भगवान दे रहा है। वह सुना अनसुना कर देंगे। उनकी बुद्धि का ताला बन्द हो जाता है। वह बाप के फरमान पर नहीं चल सकते हैं। 
गीत:- छोड़ भी दे आकाश सिंहासन..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप की आज्ञाओं का उल्लंघन नहीं करना है। कुसंग से बचना है। रोज़ मुरली जरूर पढ़नी वा सुननी है। 
2) विकर्मों का बोझा समाप्त करने के लिए याद में रहना है। जब तक जीना है- ज्ञान अमृत पीते रहना है। 
वरदान: हर कर्म योगयुक्त, युक्तियुक्त करने वाले कर्मयोगी सो निरन्तर योगी भव 
कर्मयोगी आत्मा का हर कर्म योगयुक्त, युक्तियुक्त होगा। अगर साधारण या व्यर्थ कर्म हो जाता है तो भी निरन्तर योगी नहीं कहेंगे। निरन्तर योग अर्थात् याद का आधार है प्यार। जो प्यारा लगता है वह स्वत: याद रहता है। प्यार वाली चीज़ अपनी ओर आकर्षित करती है। तो हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर बोल सदा श्रेष्ठ हो और एक बाप से दिल का प्यार हो तब कहेंगे कर्मयोगी सो निरन्तर योगी। 
स्लोगन: मेहनत से छूटना है तो मोहब्बत के झूले में झूलते रहो।