Saturday, September 22, 2012

Murli [22-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - यह रावण की शोकवाटिका है, जिसमें सब दु:खी हैं, अभी तुम रावण को भगा रहे हो फिर जय-जयकार हो जायेगी, सब अशोकवाटिका में चले जायेंगे'' 
प्रश्न: प्रजा में भी ऊंच पद किस आधार पर प्राप्त हो सकता है, उसका मिसाल कौन सा है? 
उत्तर: प्रजा में ऊंच पद पाने के लिए जो भी चावल मुट्ठी तुम्हारे पास हैं वह सब सुदामे मिसल बाप हवाले करो। दिखाते हैं ना - सुदामा ने चावल मुट्ठी दी तो महल मिल गये। बाकी राजाई पद के लिए तो अच्छी रीति पढ़ना है, पूरा पवित्र बनना है। अपना सब कुछ इनश्योर कर देना है। 
गीत:- आखिर वह दिन आया आज.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) राजाई पद लेने के लिए पूरा श्रीमत पर चलना है। किसी भी चीज़ में ममत्व नहीं रखना है। मेरा तो एक बाप... यही पाठ पक्का करना है। 
2) हियर नो ईविल, सी नो ईविल... टाक नो ईविल... बाप के इस डायरेक्शन पर चल मन्दिर लायक बनना है। 
वरदान: ब्राह्मण जीवन में काम महाशत्रु के साथ उसके सर्व साथियों को भी विदाई देने वाले सम्पूर्ण पवित्र भव 
ब्राह्मण जीवन में जैसे काम महाशत्रु को जीतने के लिए विशेष अटेन्शन रखते हो, ऐसे उसके सभी साथियों को भी विदाई दो। कई बच्चे क्रोध महाभूत को तो भगाते हैं लेकिन क्रोध के बाल-बच्चों से थोड़ी प्रीत रखते हैं। जैसे छोटे बच्चे अच्छे लगते हैं ऐसे इस क्रोध के भी छोटे बच्चे कभी-कभी प्यारे लगते हैं, लेकिन सम्पूर्ण पवित्र तब कहेंगे जब कोई भी विकार का अंश न रहे। ऐसा पक्का व्रत लो तब कहेंगे सच्चे ब्राह्मण। 
स्लोगन: संगमयुग की मौज का अनुभव करना है तो माया की अधीनता से स्वतन्त्र रहो।