Monday, September 3, 2012

Murli [3-09-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप द्वारा तुम्हें राइट पथ (सच्चा रास्ता) मिला है, इसलिए कोई भी उल्टे कर्म वा विकर्म नहीं करने हैं'' 
प्रश्न: इस समय मनुष्य जो भी संकल्प करते हैं, वह विकल्प ही बनता है - क्यों? 
उत्तर: क्योंकि बुद्धि में राइट और रांग की समझ नहीं है। माया ने बुद्धि को ताला लगा दिया है। बाप जब तक न आये, सत्य पहचान न दे तब तक हर संकल्प, विकल्प ही होता है। माया के राज्य में भल भगवान को याद करने का संकल्प करते हैं परन्तु यथार्थ पहचानते नहीं हैं इसलिए वह भी रांग हो जाता है। यह सब समझने की बहुत महीन बातें हैं। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप ने बुद्धि का ताला खोला है इसलिए कर्मेन्द्रियों से कोई भी रांग कर्म नहीं करना है। ध्यान रखना है कोई भी संकल्प, विकल्प का रूप न ले ले। 
2) अब वापिस घर चलना है इसलिए इस देह को भी भूलना है। दु:खधाम से बुद्धियोग निकाल बाप और वर्से को याद करना है। 
वरदान: बाप की मदद द्वारा उमंग-उत्साह और अथकपन का अनुभव करने वाले कर्मयोगी भव 
कर्मयोगी बच्चों को कर्म में बाप का साथ होने के कारण एक्स्ट्रा मदद मिलती है। कोई भी काम भल कितना भी मुश्किल हो लेकिन बाप की मदद - उमंग-उत्साह, हिम्मत और अथकपन की शक्ति देने वाली है। जिस कार्य में उमंग-उत्साह होता है वह सफल अवश्य होता है। बाप अपने हाथ से काम नहीं करते लेकिन मदद देने का काम जरूर करते हैं। तो आप और बाप - ऐसी कर्मयोगी स्थिति है तो कभी भी थकावट फील नहीं होगी। 
स्लोगन: मेरे में ही आकर्षण होती है इसलिए मेरे को तेरे में परिवर्तन करो।