Monday, July 30, 2012

Murli [30-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - अभी तुम बाप की नज़र से निहाल होते हो, निहाल होना अर्थात् स्वर्ग का मालिक बनना'' 
प्रश्न: और संग तोड़ एक संग जोड़.... इस डायरेक्शन को अमल में कौन ला सकता है? 
उत्तर: जिनकी बुद्धि में एम आब्जेक्ट क्लीयर है। तुम्हारी एम-आब्जेक्ट है मुक्तिधाम में जाने की, उसके लिए शरीर से भी बुद्धियोग निकालना पड़े। टॉकी, मूवी से भी परे साइलेन्स में रहने का अभ्यास करो क्योंकि तुमको साइलेन्स अथवा निर्वाण में जाना है। 
गीत:- जले न क्यों परवाना.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपने स्वधर्म में स्थित रह साइलेन्स का अनुभव करना है क्योंकि अब वाणी से परे निर्वाणधाम में जाने का समय है। 
2) सुख दाता के बच्चे हैं इसलिए सबको सुख देना है। किसी को भी दु:ख नहीं देना है। सच्चा फ्लावर बनना है। कांटों को फूल बनाने की सेवा करनी है। 
वरदान: ज्ञान के राज़ों को समझ सदा अचल रहने वाले निश्चयबुद्धि, विघ्न-विनाशक भव 
विघ्न-विनाशक स्थिति में स्थित रहने से कितना भी बड़ा विघ्न खेल अनुभव होगा। खेल समझने के कारण विघ्नों से कभी घबरायेंगे नहीं लेकिन खुशी-खुशी से विजयी बनेंगे और डबल लाइट रहेंगे। ड्रामा के ज्ञान की स्मृति से हर विघ्न नथिंगन्यु लगता है। नई बात नहीं लगेगी, बहुत पुरानी बात है। अनेक बार विजयी बनें हैं - ऐसे निश्चयबुद्धि, ज्ञान के राज़ को समझने वाले बच्चों का ही यादगार अचलघर है। 
स्लोगन: दृढ़ता की शक्ति साथ हो तो सफलता गले का हार बन जायेगी।