Monday, July 23, 2012

Murli [23-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - शिवबाबा की नम्बरवन श्रीमत है कि सवेरे-सवेरे उठ मुझ बाप को याद करो तो तुम्हारा बेड़ा पार हो जायेगा'' 
प्रश्न: उदारचित बच्चों की निशानी क्या होगी? 
उत्तर: वह औरों का भी कल्याण करते रहेंगे। दान करने का शौक होगा। इस समय जो दान करते हैं उन्हें ही पुण्य मिलता है। 2- उदारचित बच्चे भोलानाथ बाबा जैसे फ्राकदिल होंगे। वे यज्ञ में दधीचि ॠषि मिसल हड्डियां देंगे। 
गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) एक बाप से सच्चा-सच्चा लव रखना है। कलियुगी पतित सम्बन्धों से बुद्धियोग हटा देना है। इस पुरानी दुनिया से बेहद का वैराग्य रखना है। 
2) हम सारे विश्व में लकीएस्ट बच्चे हैं, जो बाप से वर्सा लेते हैं, इसी नशे में रहना है। फ्राकदिल बनना है। 
वरदान: साधारण कर्म करते भी श्रेष्ठ स्मृति वा स्थिति की झलक दिखाने वाले पुरूषोत्तम सेवाधारी भव 
जैसे असली हीरा कितना भी धूल में छिपा हुआ हो लेकिन अपनी चमक जरूर दिखायेगा, ऐसे आपकी जीवन हीरे तुल्य है। तो कैसे भी वातावरण में, कैसे भी संगठन में आपकी चमक अर्थात् वह झलक और फलक सबको दिखाई दे। भल काम साधारण करते हो लेकिन स्मृति और स्थिति ऐसी श्रेष्ठ हो जो देखते ही महसूस करें कि यह कोई साधारण व्यक्ति नहीं हैं, यह सेवाधारी होते भी पुरूषोत्तम हैं। 
स्लोगन: सच्चे राजॠषि वह हैं जिनका संकल्प मात्र भी कहाँ पर लगाव नहीं है।