Friday, July 13, 2012

Murli [13-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - इस पुरानी दुनिया, पुराने शरीर में कोई मज़ा नहीं है, इसलिए इससे जीते जी मरकर बाप का बन जाओ, सच्चे परवाने बनो'' 
प्रश्न: संगमयुग का फैशन कौन सा है? 
उत्तर: इस संगमयुग पर ही तुम बच्चे यहाँ बैठे-बैठे अपने ससुर घर वैकुण्ठ का सैर करके आते हो। यह संगमयुग का ही फैशन है। सूक्ष्मवतन का राज़ भी अभी ही खुलता है। 
प्रश्न:- किस विधि से गरीबी वा दु:खों को सहज ही भूल सकते हो? 
उत्तर:- अशरीरी बनने का अभ्यास करो तो गरीबी वा दु:ख सब भूल जायेंगे। गरीब बच्चों के पास ही बाप आते हैं साहूकार बनाने। गरीब बच्चे ही बाप की गोद लेते हैं। 
गीत:- महफिल में जल उठी शमा... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अपने को आत्मा समझ दिल की प्रीत एक बाप से लगानी है। यह दुनिया कोई काम की नहीं इसलिए इसे बुद्धि से भूल जाना है। 
2) अपने जीवन को हीरे तुल्य बनाने के लिए एक बाप पर पूरा-पूरा फिदा होना है। मेरा तो एक बाबा, दूसरा न कोई - यह पाठ पक्का करना है। 
वरदान: माया की बड़ी बात को भी छोटी बनाकर पार करने वाले निश्चयबुद्धि विजयी भव 
कोई भी बड़ी बात को छोटा बनाना या छोटी बात को बड़ा बनाना अपने हाथ में हैं। किसी-किसी का स्वभाव होता है छोटी बात को बड़ी बनाना और कोई बड़ी बात को भी छोटा बना देते हैं। तो माया की कितनी भी बड़ी बात सामने आ जाए लेकिन आप उससे बड़े बन जाओ तो वह छोटी हो जायेगी। स्व-स्थिति में रहने से बड़ी परिस्थिति भी छोटी लगेगी और उस पर विजय पाना सहज हो जायेगा। समय पर याद आये कि मैं कल्प-कल्प का विजयी हूँ तो इस निश्चय से विजयी बन जायेंगे। 
स्लोगन: वरदाता को अपना सच्चा साथी बना लो तो वरदानों से झोली भर जायेगी।