Saturday, July 28, 2012

Murli [28-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप समान पतितों को पावन बनाने का धन्धा करो, तब ही बाप की दिल पर चढ़ेंगे'' 
प्रश्न: किन बच्चों में गुणों की धारणा सहज होती है, उनकी निशानियां क्या होंगी? 
उत्तर: जो बच्चे पुराने मित्र सम्बन्धियों से, पुरानी दुनिया से बुद्धियोग निकाल नष्टोमोहा बनते हैं उनमें सर्व गुणों की धारणा सहज होती है। वह कभी किसी की निंदा करके एक दो की दिल खराब नहीं करते। बाप को पूरा-पूरा फालो करते हैं। सांवरे को गोरा, खारे को मीठा और पतितों को पावन बनाने की सेवा का सबूत देते हैं। सदा हर्षित रहते हैं। 
गीत:- किसने यह सब खेल रचाया.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) चढ़ती कला का सबूत देना है। सबसे मोह निकाल सर्विस लायक बनना है। अपने आपको देखना है। दूसरे की निंदा करके एक दो की दिल खराब नहीं करनी है। कोई भी कुकर्म नहीं करना है। 
2) बाप समान रहमदिल बनना है। कौड़ी से हीरे जैसा बनने का पुरुषार्थ करना है। लूनपानी अर्थात् खारे को मीठा बनाने की सेवा करनी है। 
वरदान: खुशी की खुराक द्वारा मन और बुद्धि को शक्तिशाली बनाने वाले अचल-अडोल भव 
''वाह बाबा वाह और वाह मेरा भाग्य वाह!'' सदा यही खुशी के गीत गाते रहो। 'खुशी' सबसे बड़ी खुराक है, खुशी जैसी और कोई खुराक नहीं। जो रोज़ खुशी की खुराक खाते हैं वे सदा तन्दरूस्त रहते हैं। कभी कमजोर नहीं होते इसलिए खुशी की खुराक द्वारा मन और बुद्धि को शक्तिशाली बनाओ तो स्थिति शक्तिशाली रहेगी। ऐसी शक्तिशाली स्थिति वाले सदा ही अचल-अडोल रहेंगे। 
स्लोगन: मन और बुद्धि को अनुभव की सीट पर सेट कर दो तो कभी अपसेट नहीं होंगे।