Thursday, July 26, 2012

Murli [26-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- मीठे बच्चे - सभी संग तोड़ मुझ एक परमात्मा से योग लगाओ तो तुम मेरी पुरी में आ जायेंगे, अन्त मते सो गति हो जायेगी 
प्रश्न: जो साइलेन्स अवस्था में जाने का पुरुषार्थ करते हैं, उन्हें क्या अच्छा नहीं लगता? 
उत्तर: उन्हें घड़ी का आवाज भी अच्छा नहीं लगता क्योंकि स्वदेश (इनकारपोरियरल वर्ल्ड) में कोई भी आवाज नहीं है इसलिए तुम वाणी से परे जाने का पुरुषार्थ करते हो। तुम्हें अशरीरी हो अपने स्वधर्म में टिकना है। बाबा के देश को बाबा सहित याद करना है। 
गीत:- भक्तों की फरियाद सुनो... 

धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) वैकुण्ठ की बादशाही का वारिस बनने के लिए यहाँ बच्चा बन सम्पूर्ण निर्विकारी बनना है। 
2) रॉयल घराने में आना है तो यह तन परमात्म हवाले कर बाप समान प्युरीफाई बनना है। 
वरदान: व्यक्त भाव की आकर्षण से परे अव्यक्त स्थिति का अनुभव करने वाले सर्व बन्धनमुक्त भव 
प्रवृत्ति में रहते बन्धनमुक्त बनने के लिए संकल्प से भी किसी सम्बन्ध में, अपनी देह में और पदार्थो में फंसना नहीं। संकल्प में भी कोई बंधन आकर्षित न करे क्योंकि संकल्प में आयेगा तो संकल्प के बाद फिर कर्म में भी आ जायेगा इसलिए व्यक्त भाव में आते भी, व्यक्त भाव की आकर्षण में नहीं आना, तब ही न्यारी और प्यारी अव्यक्त स्थिति का अनुभव कर सकेंगे। 
स्लोगन: बाप के सहारे का अनुभव करना है तो हद के किनारों का सहारा छोड़ दो।