Thursday, July 19, 2012

Murli [19-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - 21 जन्मों के लिए रावण की जंजीरों से लिबरेट होना है तो बाप की श्रीमत पर चलो, बाप आते ही हैं तुम्हें सब दु:खों से लिबरेट करने'' 
प्रश्न: सबसे भारी मंजिल कौन सी है? जिसका पुरुषार्थ बहुतकाल से चाहिए! 
उत्तर: अन्तकाल में एक बाप की ही याद रहे और कोई याद न आये, यह बहुत भारी मंजिल है। अगर कोई याद आया तो इसी दुनिया में जन्म लेना पड़े, इसलिए बहुतकाल से शिवबाबा की याद में रहने का अभ्यास करो। 
प्रश्न:- कई बच्चों की अवस्था चलते-चलते डांवाडोल क्यों हो जाती है? 
उत्तर:- क्योंकि पक्का निश्चय नहीं है। जब निश्चय में कमी आती है तब पारे की तरह अवस्था नीचे ऊपर डांवाडोल होती है। कभी बहुत खुशी रहती, कभी खुशी कम हो जाती। 
गीत:- भोलेनाथ से निराला.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप की श्रीमत पर सबको रावण की जंजीरों से मुक्त कर जीवनमुक्ति का वर्सा दिलाने की सेवा करनी है। 
2) एक बाप से ही सुनना है। बाकी जो सुना उसे भूल जाना है। मंजिल भारी है इसलिए एक दो को सावधान करते बाप की याद दिलाते उन्नति को पाना है। 
वरदान: डबल नशे की स्थिति द्वारा सदा निर्विघ्न बनने और बनाने वाले विश्व परिवर्तक भव 
''मालिक सो बालक हैं''-जब चाहो मालिकपन की स्थिति में स्थित हो जाओ और जब चाहो बालकपन की स्थिति में स्थित हो जाओ, यह डबल नशा सदा निर्विघ्न बनाने वाला है। ऐसी आत्माओं का टाइटल है विघ्न-विनाशक। लेकिन सिर्फ अपने लिए विघ्न-विनाशक नहीं, सारे विश्व के विघ्न-विनाशक, विश्व परिवर्तक हो। जो स्वयं शक्तिशाली रहते हैं उनके सामने विघ्न स्वत: कमजोर बन जाता है। 
स्लोगन: अपने डबल लाइट स्वरूप में स्थित रहो तो सब बोझ समाप्त हो जायेंगे।