Wednesday, July 11, 2012

Murli [11-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें अपने हमजिन्स का उद्धार करना है, बाप ने माताओं पर ज्ञान का कलष रखा है इसलिए माताओं पर बड़ी जवाबदारी है'' 
प्रश्न: तुम मातायें किस विशेष कर्तव्य के निमित्त हो? तुम्हारे ऊपर कौन सी रेसपान्सबिल्टी है? 
उत्तर: तुम इस पतित दुनिया को पावन दुनिया, नर्क को स्वर्ग बनाने के निमित्त हो। बाप ने तुम माताओं पर ज्ञान का कलष रखा है इसलिए सबको सद्गति देने की रेसपान्सिबिल्टी तुम्हारे पर है। तुम हो शिव शक्ति सेना। तुम्हें अब अपने हमजिन्स का कल्याण करना है। सबको पतित बनने से बचाना है। वेश्याओं का भी उद्धार करना है। 
गीत:- रात के राही.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) बाप का सच्चा बच्चा बनना है, अन्दर एक बाहर दूसरा न हो। याद की रूहानी दौड़ में आगे जाना है। खुश-मिजाज़ बनना है। 
2) आपस में बहुत-बहुत प्यार से रहना है, शिव शक्ति सेना का संगठन तैयार कर अपनी हमजिन्स को बचाना है। पवित्र बनने और बनाने की युक्ति रचनी है। 
वरदान: श्रेष्ठ और शुभ वृत्ति द्वारा वाणी और कर्म को श्रेष्ठ बनाने वाले विश्व परिवर्तक भव 
जो बच्चे अपनी कमजोर वृत्तियों को मिटाकर शुभ और श्रेष्ठ वृत्ति धारण करने का व्रत लेते हैं, उन्हें यह सृष्टि भी श्रेष्ठ नज़र आती है। वृत्ति से दृष्टि और कृत्ति का भी कनेक्शन है। कोई भी अच्छी वा बुरी बात पहले वृत्ति में धारण होती है फिर वाणी और कर्म में आती है। वृत्ति श्रेष्ठ होना माना वाणी और कर्म स्वत: श्रेष्ठ होना। वृत्ति से ही वायब्रेशन, वायुमण्डल बनता है। श्रेष्ठ वृत्ति का व्रत धारण करने वाले विश्व परिवर्तक स्वत: बन जाते हैं। 
स्लोगन: विदेही वा अशरीरी बनने का अभ्यास करो तो किसी के भी मन के भाव को जान लेंगे।