Saturday, July 21, 2012

Murli [21-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें एक शिवबाबा को ही याद करना है, किसी देहधारी को नहीं, ज्ञान के सिवाए कोई भी व्यर्थ बातें न सुननी हैं, न सुनानी हैं'' 
प्रश्न: बाप सभी बच्चों को कौन सी वारनिंग (सावधानी) देते हैं? 
उत्तर: बच्चे, बाप के बने हो तो ईश्वरीय बचपन को कभी भूल नहीं जाना। कोई भी विकर्म नहीं करना। बाप से प्रतिज्ञा कर उसे छोड़ना नहीं। अगर बाप को भूलेंगे तो माया खुशी गायब कर देगी, फिर बुद्धि हैरान होती रहेगी, घबराते रहेंगे। विकर्म करते रहेंगे। बुद्धि का ताला बन्द हो जायेगा, इसलिए शिवबाबा के बने हो तो बचपन सदा याद रखो। 
गीत:- बचपन के दिन भुला न देना.... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) संगदोष में आकर ईश्वरीय बचपन को भूलना नहीं, आपस में कभी भी कोई वाह्यात (व्यर्थ), उल्टी-सुल्टी बातें न सुननी है, न सुनानी है। ज्ञान की ही बातें करनी हैं। 
2) हर एक को बाप से वर्सा लेने की युक्ति बतानी है। मम्मा-बाबा को पूरा फालो कर ऊंच पद का अधिकार लेना है। बाप की याद से विकर्मो का बोझ उतारना है। 
वरदान: सर्व शक्तियों को आर्डर प्रमाण चलाने वाले शक्ति स्वरूप मास्टर रचयिता भव 
जो बच्चे मास्टर सर्वशक्तिमान् की अथॉरिटी से शक्तियों को आर्डर प्रमाण चलाते हैं, तो हर शक्ति रचना के रूप में मास्टर रचयिता के सामने आती है। ऑर्डर किया और हाजिर हो जाती है। तो जो हजूर अर्थात् बाप के हर कदम की श्रीमत पर हर समय ''जी-हाजिर'' वा हर आज्ञा में ''जी-हाजिर'' करते हैं। तो जी-हाजिर करने वालों के आगे हर शक्ति भी जी-हाज़िर वा जी मास्टर हज़ूर करती है। ऐसे आर्डर प्रमाण शक्तियों को कार्य में लगाने वालों को ही मास्टर रचयिता कहेंगे। 
स्लोगन: सिम्पल बन अनेक आत्माओं के लिए सैम्पल बनना-यह भी बहुत बड़ी सेवा है।