Wednesday, July 4, 2012

Murli [4-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - सदा खुशी में रहो तो स्वर्ग की बादशाही का नशा कभी भूल नहीं सकता'' 
प्रश्न: बाप कौन सी वन्डरफुल सैपलिंग लगाते हैं? 
उत्तर: पतित मनुष्यों को पावन देवता बना देना - यह वन्डरफुल सैपलिंग बाप ही लगाते हैं, जो धर्म प्राय:लोप है उसकी स्थापना कर देना, वन्डर है। 
प्रश्न:- बाप का चरित्र कौन सा है? 
उत्तर:- चतुराई से बच्चों को कौड़ी से हीरे जैसा बनाना - यह बाप का चरित्र है। बाकी कृष्ण के तो कोई चरित्र नहीं हैं। वह तो छोटा बच्चा है। 
गीत:- रात के राही..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) वारिस बनने के लिए अपने सब हिसाब-किताब, कर्मबन्धन चुक्तू करने हैं। बाप की जो राय मिलती है, उस पर ही चलना है। 
2) सबको बाप का सत्य परिचय दे पतित से पावन बनाने का श्रेष्ठ कर्तव्य करना है। पवित्रता की राखी बांध पवित्र दुनिया के मालिकपने का वर्सा लेना है। 
वरदान: यथार्थ याद और सेवा के डबल लाक द्वारा निर्विघ्न रहने वाले फीलिंगप्रूफ भव 
माया के आने के जो भी दरवाजे हैं उन्हें याद और सेवा का डबल लॉक लगाओ। यदि याद में रहते और सेवा करते भी माया आती है तो जरूर याद अथवा सेवा में कोई कमी है। यथार्थ सेवा वह है जिसमें कोई भी स्वार्थ न हो। अगर नि:स्वार्थ सेवा नहीं तो लॉक ढीला है और याद भी शक्तिशाली चाहिए। ऐसा डबल लाक हो तो निर्विघ्न बन जायेंगे। फिर क्यों, क्या की व्यर्थ फीलिंग से परे फीलिंग प्रूफ आत्मा रहेंगे। 
स्लोगन: स्नेह और शक्ति का बैलेन्स ही सफलता की अनुभूति कराता है।