Tuesday, July 10, 2012

Murli [10-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - तुम्हें अब आसुरी अवगुण निकाल ईश्वरीय गुण धारण करने हैं, बाप से अपना 21 जन्मों का स्वराज्य लेना है'' 
प्रश्न: बाप की कौन सी एक्ट चलती है जो तुम बच्चों की भी होनी चाहिए? 
उत्तर: बाप की एक्ट है सभी को ज्ञान और योग सिखलाने की। यही एक्ट तुम बच्चों को भी करनी है। पतितों को पावन बनाना है। तुम्हारा धन्धा ही है रूहानी सर्विस करना। कोई-कोई बच्चे शरीर छोड़कर जाते हैं फिर नया शरीर ले यही मेहनत करते हैं। दिन-प्रतिदिन तुम्हारी सर्विस बढ़ती जायेगी। 
गीत:- ओम् नमो शिवाए... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) अमृतवेले उठ बाप को प्यार से याद कर आत्म-अभिमानी बनने की मेहनत करनी है। याद के बल से विकारों की कट उतारनी है। 
2) घर गृहस्थ में रहते कमल फूल समान बनने का कोर्स उठाना है। हर एक की रग अथवा लगन देखकर ज्ञान देना है। 
वरदान: देह-अभिमान के अंशमात्र की भी बलि चढ़ाने वाले महाबलवान भव 
सबसे बड़ी कमजोरी है देह-अभिमान। देह-अभिमान का सूक्ष्म वंश बहुत बड़ा है। देह-अभिमान की बलि चढ़ाना अर्थात् अंश और वंश सहित समर्पित होना। ऐसे बलि चढ़ाने वाले ही महाबलवान बनते हैं। यदि देह अभिमान का कोई भी अंश छिपाकर रख लिया, अभिमान को ही स्वमान समझ लिया तो उसमें अल्पकाल की विजय भल दिखाई देगी लेकिन बहुतकाल की हार समाई हुई है। 
स्लोगन: इच्छा नहीं थी लेकिन अच्छा लग गया-यह भी जीवनबंध स्थिति है।