Sunday, July 29, 2012

Murli [29-07-2012]-Hindi

29-07-12 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ''अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:09-02-75 मधुबन 
आध्यात्मिक शक्तियों द्वारा विश्व-परिवर्तन कैसे? 
वरदान: भाग्यविधाता बाप द्वारा मिले हुए भाग्य को बांटने और बढ़ाने वाले खुशनसीब भव 
सबसे बड़ी खुशनसीबी यह है-जो भाग्यविधाता बाप ने अपना बना लिया! दुनिया वाले तड़फते हैं कि भगवान की एक सेकण्ड भी नजर पड़ जाए और आप सदा नयनों में समाये हुए हो। इसको कहा जाता है खुशनसीब। भाग्य आपका वर्सा है। सारे कल्प में ऐसा भाग्य अभी ही मिलता है। तो भाग्य को बढ़ाते चलो। बढ़ाने का साधन है बांटना। जितना औरों को बांटेंगे अर्थात् भाग्यवान बनायेंगे उतना भाग्य बढ़ता जायेगा। 
स्लोगन: निर्विघ्न और एकरस स्थिति का अनुभव करना है तो एकाग्रता का अभ्यास बढ़ाओ।