Tuesday, July 31, 2012

Murli [31-07-2012]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - बाप का बनने से तुम बिगर कौड़ी खर्चे सेकेण्ड में जीवनमुक्ति का अधिकार पा लेते हो, निश्चय हुआ और वर्सा मिला। 
प्रश्न: शुरुड बुद्धि (समझदार) बच्चों का कर्तव्य कौन सा है? 
उत्तर: सच्ची यात्रा करना और कराना यही शुरूड बुद्धि बच्चों का कर्तव्य है। सच्ची यात्रा है मनमनाभव। इस यात्रा से और धक्कों से बच जायेंगे। जैसे बाप कल्याणकारी है वैसे शुरुड बुद्धि बच्चे बाप समान कल्याणकारी होंगे। 
प्रश्न:- बाप तुम बच्चों को कौन सी बात कहते हैं जो तुम सबके कान में सुनाते रहो? 
उत्तर:- बाबा कहे बच्चे तुम मुझे याद करो, किसी देहधारी को याद नहीं करना है। देहधारी को याद करेंगे तो देह-अभिमानी बन पड़ेंगे इसलिए सदैव समझो देहधारी सब मरे पड़े हैं, हमें बाप को याद करना है। यही बात सबके कान में सुनाते रहो। 
गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ..... 
धारणा के लिए मुख्य सार: 
1) हीरे जैसा बनने का साधन बाप की याद है। बाप की याद से बिगर कौड़ी खर्चा विश्व की बादशाही मिल जायेगी इसलिए निरन्तर एक बाप की याद में रहना है। 
2) मांगने से मरना भला - बाप से सब कुछ मिल गया इसलिए मांगना नहीं है। कल्याणकारी बन सबको सच्चा रास्ता बताना है। 
वरदान: सर्व खजानों से सम्पन्न बन हर समय सेवा में बिजी रहने वाले विश्व कल्याणकारी भव 
विश्व कल्याण के निमित्त बनी हुई आत्मा पहले स्वयं सर्व खजानों से सम्पन्न होगी। अगर ज्ञान का खजाना है तो फुल ज्ञान हो, कोई भी कमी नहीं हो तब कहेंगे भरपूर। किसी-किसी के पास खजाना फुल होते हुए भी समय पर कार्य में नहीं लगा सकते, समय बीत जाने के बाद सोचते हैं, तो उन्हें भी फुल नहीं कहेंगे। विश्व कल्याणकारी आत्मायें मन्सा, वाचा, कर्मणा, सम्बन्ध-सम्पर्क में हर समय सेवा में बिजी रहती हैं। 
स्लोगन: ज्ञान और योग की नेचर बना लो तो हर कर्म नेचरल श्रेष्ठ और युक्तियुक्त होगा।