मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - खुशबूदार फूल बनो, श्रीकृष्ण है नम्बरवन खुशबूदार फूल इसलिये सभी
प्रश्न:- लौकिक में स्वीट सम्बन्ध कौन-सा है और स्वीटेस्ट किसे कहेंगे?
उत्तर:- लौकिक में भी स्वीट फादर को ही कहा जाता है। तुम बच्चे भी कहते हो हमारा अति मोस्ट
गीत:- मरना तेरी गली में.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर में बाबा-बाबा कहते बाबा समान स्वीट बनना है। आत्म-अभिमानी होकर रहना है।
2) मोस्ट लवली बाप को याद कर पावन जरूर बनना है। याद की अग्नि से विकारों की खाद
वरदान:- असोच बन, बाप की शक्ति मदद के रूप में अनुभव करने वाले चिंतामुक्त भव
कई बच्चे सोचते हैं - सेवा कैसे बढ़ेगी, अच्छे-अच्छे जिज्ञासु पता नहीं कब आयेंगे, कब तक सेवा की
स्लोगन:- अपनी उपराम स्थिति द्वारा सर्व बातों से किनारा कर लो तो एक बाप के सहारे का अनुभव होगा।
को बहुत प्यारा लगता है, सभी नयनों पर रखते हैं''
प्रश्न:- लौकिक में स्वीट सम्बन्ध कौन-सा है और स्वीटेस्ट किसे कहेंगे?
उत्तर:- लौकिक में भी स्वीट फादर को ही कहा जाता है। तुम बच्चे भी कहते हो हमारा अति मोस्ट
लवली स्वीट फादर है, हम उसके लवली बच्चे हैं। स्वीटेस्ट फिर टीचर को कहेंगे क्योंकि टीचर पढ़ाई
पढ़ाते हैं। नॉलेज सोर्स ऑफ इनकम है। तुमको भी पहले नॉलेज मिलती है। गृहस्थ व्यवहार में रहते
हुए इस नॉलेज को धारण करना और दूसरों को कराना है।
गीत:- मरना तेरी गली में.......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) अन्दर में बाबा-बाबा कहते बाबा समान स्वीट बनना है। आत्म-अभिमानी होकर रहना है।
पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है।
2) मोस्ट लवली बाप को याद कर पावन जरूर बनना है। याद की अग्नि से विकारों की खाद
निकाल सच्चा सोना बनना है।
वरदान:- असोच बन, बाप की शक्ति मदद के रूप में अनुभव करने वाले चिंतामुक्त भव
कई बच्चे सोचते हैं - सेवा कैसे बढ़ेगी, अच्छे-अच्छे जिज्ञासु पता नहीं कब आयेंगे, कब तक सेवा की
भाग-दौड़ करनी पड़ेगी। लेकिन सोचने से सेवा नहीं बढ़ती। असोच बन बुद्धि को फ्री रखो तो बाप की
शक्ति मदद के रूप में अनुभव करेंगे और सेवा की वृद्धि स्वत: होगी। बाबा करावनहार है और करने के
निमित्त मैं आत्मा हूँ - इसको कहते हैं असोच अर्थात् एक की याद। उन्हें कोई चिंता हो नहीं सकती।
जहाँ शुभाचिंतन है वहाँ कोई चिंता नहीं।
स्लोगन:- अपनी उपराम स्थिति द्वारा सर्व बातों से किनारा कर लो तो एक बाप के सहारे का अनुभव होगा।