Tuesday, August 20, 2013

Murli[20-08-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बचे-पिव रहने क कसम लेना ही सचा राबंधन है, बाप कप म एक ही बार यह राखी तुम बच को बांधते ह'' न:- पिवता क िता करने वाल को भी योग म रहने का इशारा य िमलता है? उर:- यिक योग क शि से ही वायुमडल को शात बना सकते हो। सारी दुिनया को शात का वसा देने का उपाय ही योग है। तुम बाप को याद करते हो-िवव म शात फैलाने के लए। जतना बाप को याद करगे उतना माया का असर नह होगा। बाप का यही फरमान है-बचे, अशरीरी भव। गीत:- भैया मेरे राखी के बंधन को िनभाना........ धारणा के लए मुय सार:- 1) पुराने िवकमं का खाता खलास कर पुय का खाता जमा करना है। याद म रह शात का वायुमडल बनाना है। 2) पिवता क िता कर पिव रहने क सची राखी हरेक को बांधनी है। वरदान:- व-थित क शि से िकसी भी परथित का सामना करने वाले माटर नॉलेजफुल भव व-थित अथात् आमक थित। पर-थित यि वा कृित ारा आती है लेिकन अगर व-थित शिशाली है तो उसके आगे पर-थित कुछ भी नह है। व-थित वाला िकसी भी कार क परथित से घबरा नह सकता यिक नॉलेजफुल आमा हो गई। उसे तीन काल क, सव आमाओं क नॉलेज है। वह जानते ह िक यह परवश है इसलए शुभ भावना, शुभ कामना ारा उसक सेवा करगे, घबरायगे नह, सदा मुकराते रहगे। लोगन:- भायवान वह है जो सदा भाय के गुण गाये, कमजोरय के नह।