मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - माया की पीड़ा से बचने के लिए बाप की शरण में आ जाओ, ईश्वर की शरण में
प्रश्न:- तुम बच्चे किस पुरूषार्थ से मन्दिर लायक पूज्यनीय बन जाते हो?
उत्तर:- मन्दिर लायक पूज्यनीय बनने के लिए भूतों से बचने का पुरूषार्थ करो। कभी भी किसी भूत की
गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है.....
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1. श्रीमत पर पतित मनुष्यों को पावन देवता बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
2. ज्ञान सागर का सारा ज्ञान हप करना है। बाप की याद से विकर्मों को दग्ध कर विकर्माजीत बनना है।
वरदान:- कर्मयोगी बन हर कार्य को कुशलता और सफलता पूर्वक करने वाले चिंतामुक्त भव
कई बच्चों को कमाने की, परिवार को पालने की चिंता रहती है लेकिन चिंता वाला कभी कमाई में सफल
स्लोगन:- सदा गुण रूपी मोती ग्रहण करने वाले होलीहंस बनो, कंकड़ पत्थर लेने वाले नहीं।
आने से 21 जन्म के लिए माया के बंधन से छूट जायेंगे''
प्रश्न:- तुम बच्चे किस पुरूषार्थ से मन्दिर लायक पूज्यनीय बन जाते हो?
उत्तर:- मन्दिर लायक पूज्यनीय बनने के लिए भूतों से बचने का पुरूषार्थ करो। कभी भी किसी भूत की
प्रवेशता नहीं होनी चाहिए। जब किसी में भूत देखो, कोई क्रोध करता है या मोह के वश हो जाता है तो उससे
किनारा कर लो। पवित्र रहने की स्वयं से प्रतिज्ञा करो। सच्ची-सच्ची राखी बांधो।
गीत:- तुम्हारे बुलाने को जी चाहता है.....
धारणा के लिए मुख्य सार :-
1. श्रीमत पर पतित मनुष्यों को पावन देवता बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।
2. ज्ञान सागर का सारा ज्ञान हप करना है। बाप की याद से विकर्मों को दग्ध कर विकर्माजीत बनना है।
वरदान:- कर्मयोगी बन हर कार्य को कुशलता और सफलता पूर्वक करने वाले चिंतामुक्त भव
कई बच्चों को कमाने की, परिवार को पालने की चिंता रहती है लेकिन चिंता वाला कभी कमाई में सफल
नहीं हो सकता। चिंता को छोड़कर कर्मयोगी बन काम करो तो जहाँ योग है वहाँ कोई भी कार्य कुशलता और
सफलता पूर्वक सम्पन्न होगा। अगर चिंता से कमाया हुआ पैसा आयेगा भी तो चिंता ही पैदा करेगा, और योगयुक्त
बन खुशी-खुशी से कमाया हुआ पैसा खुशी दिलायेगा क्योंकि जैसा बीज होगा वैसा ही फल निकलेगा।
स्लोगन:- सदा गुण रूपी मोती ग्रहण करने वाले होलीहंस बनो, कंकड़ पत्थर लेने वाले नहीं।