Monday, August 19, 2013

Murli-[19-08-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - श्रीमत पर ज्ञान का चन्दन घिसना वा पवित्र बनना ही स्वराज्य लेना है, 
तुम पवित्रता की प्रतिज्ञा करो तो सूर्यवंशी घराने का तिलक मिलेगा'' 

प्रश्न:- तुम बच्चों को राखी कौन बांधता है, तिलक कौन देता है और मुख मीठा कराने की रस्म क्यों है? 
उत्तर:- तुम्हें बड़ी मम्मी (ब्रह्मा माँ) राखी बांधती है, पवित्र बनाती है, जब तुम पवित्र बनने की प्रतिज्ञा
कर लेते हो तो बाप स्वराज्य का टीका देते हैं। मुख मीठा कराना अर्थात् सर्व वरदान दे देना। बाप ने 
स्वराज्य के तिलक के साथ-साथ सर्व वरदान भी दिये हैं, इसी की रस्म यादगार में चली आई है। 

गीत:- इधर मुहब्बत उधर जमाना........ 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) दिल की मुहब्बत एक बाप से रखनी है, देहधारियों से नहीं क्योंकि सर्व सम्बन्धी एक बाप है। 

2) पढ़ाई के समय अपना फुल अटेन्शन पढ़ाई में देना है, व्यर्थ बातों का वर्णन-चिन्तन नहीं करना है। 
बुद्धि को भटकाना नहीं है। 

वरदान:- पास्ट, प्रेजन्ट और फ्युचर को जान मायाजीत बनने वाले मास्टर त्रिकालदर्शा भव 

जो बच्चे तीनों कालों को जानते हैं वे कभी भी माया से हार नहीं खा सकते क्योंकि वर्तमान क्या है 
और भविष्य में क्या होने वाला है, दोनों ही त्रिकालदर्शी आत्मा की बुद्धि में स्पष्ट रहता है। क्या हूँ 
और क्या बनने वाला हूँ, वर्तमान और भविष्य दोनों का उन्हें नशा रहता है। उसी नशे की खुशी में 
उड़ते रहते हैं इसलिए उनके पांव धरनी से ऊंचे होते हैं। वह देह, देह के संबंध, देह के पुराने पदार्थो 
की आकर्षण में नहीं आते। 

स्लोगन:- जिनके पास सरलता का गुण है उनके लिए संगठन में चलना बहुत सहज है।