18-08-13 प्रात:मुरली ओम् शान्ति ``अव्यक्त-बापदादा'' रिवाइज:16-04-77 मधुबन
ब्राह्मण जन्म की दिव्यता और अलौकिकता
वरदान:- देह-अभिमान के त्याग द्वारा सदा स्वमान में स्थित रहने वाले सम्मानधारी भव
जो बच्चे इस एक जन्म में देह-अभिमान का त्याग कर स्वमान में स्थित रहते हैं, उन्हें इस
त्याग के रिटर्न में भाग्यविधाता बाप द्वारा सारे कल्प के लिए सम्मानधारी बनने का भाग्य
प्राप्त हो जाता है। आधाकल्प प्रजा द्वारा सम्मान प्राप्त होता है, आधाकल्प भक्तों द्वारा सम्मान
प्राप्त करते हो और इस समय संगम पर तो स्वयं भगवान अपने स्वमानधारी बच्चों को
सम्मान देते हैं। स्वमान और सम्मान दोनों का आपस में बहुत गहरा संबंध है।
स्लोगन:- हर कदम में बाप की, ब्राह्मण परिवार की दुआयें लेते रहो तो सदा आगे बढ़ते रहेंगे।
वरदान:- देह-अभिमान के त्याग द्वारा सदा स्वमान में स्थित रहने वाले सम्मानधारी भव
जो बच्चे इस एक जन्म में देह-अभिमान का त्याग कर स्वमान में स्थित रहते हैं, उन्हें इस
स्लोगन:- हर कदम में बाप की, ब्राह्मण परिवार की दुआयें लेते रहो तो सदा आगे बढ़ते रहेंगे।