Friday, August 23, 2013

Murli[23-08-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम्हें मुख से कुछ भी बोलना नहीं है, सच्चे दिल से एक बाप को 
निरन्तर याद करना है, सच्चे दिल पर ही साहेब राजी है'' 

प्रश्न:- सबसे अच्छा मैनर (चरित्र) कौन सा है? किस देवताई मैनर्स को तुम्हें धारण करना है? 
उत्तर:- सदा हार्षित रहना बहुत अच्छा मैनर है। देवतायें सदा हार्षित रहते हैं, खिलखिलाकर 
हंसते नहीं। आवाज से हंसना भी एक विकार है। तुम बच्चों को याद की गुप्त खुशी रहनी चाहिए। 
फैमिलियरटी का संस्कार भी बहुत नुकसानकारक है। सार्विस की सफलता के लिए अनासक्त 
वृत्ति चाहिए। नाम-रूप की बदबू जरा भी न हो। बुद्धि बहुत स्वच्छ चाहिए। इसी धारणा से जब 
सार्विस करते, दूसरों को आप समान बनाते तो चेहरा हार्षित रहता है। 

गीत:- न वह हमसे जुदा होंगे...... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बाप को साथ रखने की युक्ति रचनी है। भोजन पर याद में रहना है। अशरीरी बनने का 
अभ्यास करना है। अपनी पुरानी देह से भी लव नहीं रखना है। 

2) बाप का पूरा रिगॉर्ड रखना है। अंहकार में नहीं आना है। नाम-रूप की बीमारी से सदा दूर 
रहना है। ज्ञान-योग में मस्त रहना है। 

वरदान:- करावनहार की स्मृति द्वारा सदा बेफिक्र बादशाह बनने वाले निश्चयबुद्धि निश्चिंत भव 

ब्राह्मण जीवन अर्थात् बेफिक्र बादशाह। जैसे ब्रह्मा बाप बेफिक्र बादशाह बने तो यही गीत गाते रहे - 
पाना था सो पा लिया, काम क्या बाकी रहा...सेवा का काम भी जो बाकी रहा हुआ है वह भी 
करावनहार करा रहे हैं और कराते रहेंगे। सदा स्मृति रहे बाप करावनहार बन हमारे द्वारा करा रहे 
हैं तो बेफिक्र हो जायेंगे। निश्चय है यह कार्य होना ही है, हुआ ही पड़ा है इसलिए निश्चयबुद्धि, 
निश्चिंत, बेफिकर रहो। 

स्लोगन:- अपनी सर्व कमजोरियों से किनारा करना है तो बेहद की वैराग्य वृत्ति को धारण करो।