Saturday, August 31, 2013

Murli[31-08-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - अपनी स्थिति साक्षी तथा हार्षित रखने के लिए स्मृति में रहे 
कि हर आत्मा का अपना-अपना पार्ट है, बनी बनाई बन रही'' 

प्रश्न:- तुम बच्चे किस एक पुरूषार्थ द्वारा अपनी अवस्था जमा सकते हो? 
उत्तर:- माया के तूफानों को डोन्टकेयर करो और बाप जो श्रीमत देते हैं उसे कभी भी 
डोन्टकेयर न करो, इससे तुम्हारी अवस्था अचल-अडोल हो जायेगी, स्थिति सदा साक्षी 
और हार्षित रहेगी। तुम्हारी अवस्था ऐसी होनी चाहिए जो कभी भी रोना न आये। अम्मा 
मरे तो भी हलुआ खाना.....। 

गीत:- तुम्हीं हो माता, पिता तुम्हीं हो........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बुद्धि में पूरी एम ऑब्जेक्ट रख नष्टोमाहा बनना है। इस कब्रिस्तान को भूल बाप को 
याद करना है। रूहानी जिस्मानी सेवा करनी है। 

2) खिलाने वाले को खिलाकर फिर खाना है। अमृतवेले का समय अच्छा है इसलिए उस 
समय उठकर बाप को याद करना है। मुरली 5-6 बार सुननी वा पढ़नी जरूर है। 

वरदान:- अलौकिक रीति की लेन-देन द्वारा सदा विशेषता सम्पन्न बनने वाले फ्राख्रदिल भव 

जैसे किसी मेले में जाते हो तो पैसा देते और कोई चीज लेते हो। लेने से पहले देना होता है तो 
इस रूहानी मेले में भी बाप से अथवा एक दो से कुछ न कुछ लेते हो अर्थात् स्वयं में धारण 
करते हो। जब कोई गुण अथवा विशेषता धारण करेंगे तो साधारणता स्वत: खत्म हो जायेगी। 
गुण को धारण करने से कमजोरी स्वत: समाप्त हो जायेगी। तो यही देना हो जाता है। हर 
सेकण्ड ऐसी लेन-देन करने में फ्राखदिल बनो तो विशेषताओं से सम्पन्न बन जायेंगे। 

स्लोगन:- अपनी विशेषताओं का प्रयोग करो तो हर कदम में प्रगति का अनुभव होगा।