Saturday, August 17, 2013
Murli-[17-08-2013]-Hindi
मुरली सार:- ``मीठे बचे - संगमयुग ाण के लए कयाणकारी है इसलए सदा फखुर म रहना है, िकसी बात का िफ नह करना है''
न:- जनक अवथा अछी है, उनक िनशािनयां या हगी? उर:- उह िकसी भी बात म रोना नह आयेगा। मुरझायगे नह, गम वा अफसोस नह होगा। हर सीन साी होकर देखगे। कभी य, या के न नह करगे। िकसी के नाम प को याद नह करगे, एक बाबा क याद म हािषतमुख रहगे।
गीत:- माता ओ माता ....
धारणा के लए मुय सार:-
1) अपनी दैवी एटिवटी बनानी है। कभी भी लड़ना, झगड़ना नह है, कडुवा नह बोलना है, लोभ लालच नह रखना है। कोई को दु:ख नह देना है। सबको सुख का राता बताना है।
2) कोई भी िवन म संशय नह उठाना है, डामा क िनचत भावी समझ फखुर म रहना है, िफ नह करना है।
वरदान:- अलौिकक जीवन क मृित ारा वृ, मृित और ि का परवतन करने वाले मरजीवा भव
ाण जीवन को अलौिकक जीवन कहते ह, अलौिकक का अथ है इस लोक जैसे नह। ि, मृित और वृ सबम परवतन हो। सदा आमा भाई-भाई क वृ वा भाई-बिहन क वृ रहे। हम सब आपस म एक परवार के ह - यह वृ रहे और ि से भी आमा को देखो, शरीर को नह - तब कहगे मरजीवा। ऐसी े जीवन िमल गई तो पुरानी जीवन याद आ नह सकती।
लोगन:- सदा शु फलंग म रहो तो अशु फलंग का लू पास भी नह आ सकता।