Wednesday, August 28, 2013

Murli[28-08-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे-विचार सागर मंथन कर श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव के महान् अन्तर को स्पष्ट करो'' 
(श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से सम्बन्धित) 


प्रश्न:- ब्रह्मा बाबा अपने आपसे क्या बातें करते हैं? उन्हें वन्डर क्या लगता है? 
उत्तर:- ब्रह्मा बाबा अपने आपसे बातें करते-पता नहीं क्या होता जो शिवबाबा घड़ी-घड़ी भूल जाता है। ऐसे तो नहीं, 
बाप जब प्रवेश करते हैं तब याद रहती है, बाबा चले जाते हैं तो याद भूल जाती है। परन्तु मैं तो उनका बच्चा हूँ, 
याद भूल क्यों जाती? क्या मेरी याद से ही बाबा आते हैं? ऐसे-ऐसे बाबा अपने आपसे बातें करके वन्डर खाते रहते हैं। 

गीत:- तू प्यार का सागर है........ 

धारणा के लिए मुख्य सार :- 

1) मास्टर नॉलेजफुल और त्रिकालदर्शी बन श्रीकृष्ण और परमात्मा शिव के महान् अन्तर को स्पष्ट कर घोर अन्धियारे 
से निकालने की सेवा करनी है। 

2) बाबा जो एसे (निबन्ध) देते हैं उस पर विचार सागर मंथन करना है। ख्याल करना है-कैसे किसको समझायें। 

वरदान:- मन को अमन वा दमन करने के बजाए सु-मन बनाने वाले दूरादेशी भव 

भक्ति में भक्त लोग कितनी मेहनत करते हैं, प्राणायाम चढ़ाते हैं, मन को अमन करते हैं। आप सबने मन को सिर्फ 
एक बाप की तरफ लगा दिया, बिजी कर दिया, बस। मन को दमन नहीं किया, सु-मन बना दिया। अभी आपका 
मन श्रेष्ठ संकल्प करता है इसलिए सु-मन है, मन का भटकना बंद हो गया। ठिकाना मिल गया। आदि-मध्य-अन्त 
तीनों कालों को जान गये तो दूरादेशी, विशाल बुद्धि बन गये इसलिए मेहनत से छूट गये। 

स्लोगन:- जो सदा खुशी की खुराक खाते हैं वे सदा तन्दरूस्त और खुशनुम: रहते हैं। 

Shri Krishna Janmashtmi : http://youtube/EPiGfy8i_lg