Wednesday, August 21, 2013

Murli[21-08-2013]-Hindi

मुरली सार:- ``मीठे बच्चे-बाप का बिन्दी स्वरूप है, उसे यथार्थ पहचानकर याद करो यही समझदारी है''

प्रश्न:- बेहद की दृष्टि से स्वप्न का अर्थ क्या है? इस संसार को स्वप्नवत् संसार क्यों कहा गया है? 
उत्तर:- स्वप्न अर्थात् जो बात बीत गई। तुम अभी जानते हो यह सारा संसार अभी स्वप्नवत् है अर्थात् 
सतयुग से लेकर कलियुग अन्त तक सब कुछ बीत चुका है तुम्हें अभी सेकेण्ड में इस स्वप्नवत् संसार 
की स्मृति आ गई। तुम सृष्टि के आदि, मध्य, अन्त, मूलवतन, सूक्ष्मवतन, स्थूलवतन को जानकर 
मास्टर भगवान् बन गये हो। 

गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे....... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) स्वदर्शन चक्र फिराते माया पर गुप्त रीति विजय प्राप्त करनी है। बाप समान नॉलेजफुल होकर रहना है। 

2) बाप जो है, जैसा है, उसे यथार्थ बिन्दी रूप में जानकर याद करना है। बिन्दू बन, बिन्दू बाप की याद 
में रहना है। भोला नहीं बनना है। 

वरदान:- निर्विघ्न स्थिति द्वारा वायुमण्डल को पावरफुल बनाने वाले मास्टर सर्वशक्तिमान् भव 

आपकी सेवा है पहले स्व को निर्विघ्न बनाना फिर औरों को निर्विघ्न बनाना। अगर स्वयं ही विघ्नों के 
वश होते रहेंगे तो अन्त में निर्विघ्न नहीं रह सकेंगे इसलिए बहुतकाल की निर्विघ्न स्थिति बनाओ, 
कमजोर आत्माओं को भी बाप द्वारा प्राप्त हुई शक्ति दे शक्तिशाली बनाओ। ``मास्टर सर्वशक्तिमान् हूँ'' 
इस स्थिति का अनुभव करो - तब वायुमण्डल पावरफुल बनेगा। 

स्लोगन:- जो रॉयल बाप के रॉयल बच्चे हैं, उनकी हर चलन से रॉयल्टी दिखाई देती है।