मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - तुम अभी टिवाटे पर खड़े हो, एक तरफ है दु:खधाम, दूसरे तरफ है शान्तिधाम और
प्रश्न:- किस निश्चय के आधार पर तुम बच्चे सदा हार्षित रह सकते हो?
गीत:- किसी ने अपना बनाके मुझको......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सार्विस का शौक रखना है। बीमारी में भी बाप की याद में रहना है और दूसरों को भी याद दिलाना है।
2) पक्का मातेला बनना है अर्थात् एक बाप की ही याद में रहना है। सवेरे-सवेरे उठ विचार सागर मंथन करना है।
वरदान:- पहाड़ जैसी बात को भी एक बाबा शब्द की स्मृति द्वारा रूई बनाने वाले सहजयोगी भव
सहजयोगी बनने के लिए एक शब्द याद रखो - ``मेरा बाबा'' बस। कोई भी बात आ जाए, हिमालय पहाड़ से भी
स्लोगन:- प्यार के सागर में लवलीन रहो तो सदा समीप, समान और सम्पन्न भव के वरदानी बन जायेंगे।
तीसरे तरफ है सुखधाम, अब जज करो हमें किधर जाना है?''
प्रश्न:- किस निश्चय के आधार पर तुम बच्चे सदा हार्षित रह सकते हो?
उत्तर:- सबसे पहला निश्चय चाहिए कि हम किसके बने हैं! बाप का बनने में कोई वेद-शास्त्र आदि पुस्तकें पढ़ने
की दरकार नहीं है। दूसरा निश्चय चाहिए कि हमारा कुल सबसे श्रेष्ठ देवता कुल है - इस स्मृति से सारा चक्र याद
आ जायेगा। बाप और चक्र की स्मृति में रहने वाले सदा हार्षित रहेंगे।
गीत:- किसी ने अपना बनाके मुझको......
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) सार्विस का शौक रखना है। बीमारी में भी बाप की याद में रहना है और दूसरों को भी याद दिलाना है।
मुख से ज्ञान दान करते रहना है।
2) पक्का मातेला बनना है अर्थात् एक बाप की ही याद में रहना है। सवेरे-सवेरे उठ विचार सागर मंथन करना है।
दूसरा कोई भी याद न आये।
वरदान:- पहाड़ जैसी बात को भी एक बाबा शब्द की स्मृति द्वारा रूई बनाने वाले सहजयोगी भव
सहजयोगी बनने के लिए एक शब्द याद रखो - ``मेरा बाबा'' बस। कोई भी बात आ जाए, हिमालय पहाड़ से भी
बड़ी हो लेकिन बाबा कहा और पहाड़ रूई बन जायेगा। राई भी थोड़ी मजबूत, कड़क होती है, रूई नर्म और हल्की
होती है। तो कितनी भी बड़ी बात रूई समान हल्की हो जायेगी। दुनिया वाले देखेंगे तो कहेंगे यह कैसे होगा और
आप कहेंगे यह ऐसे होगा। बाबा कहा और बुद्धि में टच होगा कि ऐसे करो तो सहज हो जायेगा। यही सहजयोगी जीवन है।
स्लोगन:- प्यार के सागर में लवलीन रहो तो सदा समीप, समान और सम्पन्न भव के वरदानी बन जायेंगे।