मुरली सार:- ``मीठे बच्चे - यह पुरानी दुनिया अब मिट्टी में मिल धूलछाई हो जायेगी, इसलिए
प्रश्न:- मनुष्यों की कौन-सी चाहना एक बाप ही पूरी कर सकते हैं?
उत्तर:- मनुष्य चाहते हैं शान्ति हो। लेकिन अशान्त किसने बनाया है, यह नहीं जानते हैं। तुम
गीत:- इस पाप की दुनिया से........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद ड्रामा के राज को बुद्धि में रख नाथिंगन्यु का पाठ पक्का करना है। वाणी से परे रह
2) माया दुश्मन पर जीत पाने के लिए सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेनी है। ज्ञान नयन हीन
वरदान:- रूहानी गुलाब बन चारों ओर रूहानियत की खुशबू फैलाने वाले आकषर्ण मूर्त भव
सदा स्मृति रहे कि हम भगवान के बगीचे के रूहानी गुलाब हैं। रूहानी गुलाब अर्थात् कभी भी
स्लोगन:- परोपकारी वह है जो स्व-परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने के निमित्त बनते हैं।
इस धूल में मिलने वाली दुनिया से अपना बुद्धियोग निकाल दो''
प्रश्न:- मनुष्यों की कौन-सी चाहना एक बाप ही पूरी कर सकते हैं?
उत्तर:- मनुष्य चाहते हैं शान्ति हो। लेकिन अशान्त किसने बनाया है, यह नहीं जानते हैं। तुम
उन्हें बतलाते हो कि 5 विकारों ने ही तुम्हें अशान्त किया है। भारत में जब पवित्रता थी तो शान्ति
थी। अब बाप फिर से पवित्र प्रवृत्ति मार्ग स्थापन करते हैं, जहाँ सुख-शान्ति सब होगी। मुक्ति-जीवनमुक्ति
की राह बाप के सिवाए कोई बतला नहीं सकता।
गीत:- इस पाप की दुनिया से........
धारणा के लिए मुख्य सार:-
1) बेहद ड्रामा के राज को बुद्धि में रख नाथिंगन्यु का पाठ पक्का करना है। वाणी से परे रह
वानप्रस्थ अवस्था में जाना है।
2) माया दुश्मन पर जीत पाने के लिए सर्वशक्तिमान बाप से शक्ति लेनी है। ज्ञान नयन हीन
आत्माओं को ज्ञान नेत्र देना है।
वरदान:- रूहानी गुलाब बन चारों ओर रूहानियत की खुशबू फैलाने वाले आकषर्ण मूर्त भव
सदा स्मृति रहे कि हम भगवान के बगीचे के रूहानी गुलाब हैं। रूहानी गुलाब अर्थात् कभी भी
रूहानियत से दूर होने वाले नहीं। जैसे फूलों में खुशबू समाई हुई होती है, ऐसे आप सबमें रूहानियत
की खुशबू ऐसी समाई हुई हो जो ऑटोमेटिक चारों ओर फैलती रहे और सबको अपनी ओर आकार्षित
करती रहे। अभी आप ऐसे खुशबूदार वा आकर्षण मूर्त बनते हो तब आपके यादगार मन्दिर में
भी अगरबत्ती आदि से खुशबू करते हैं।
स्लोगन:- परोपकारी वह है जो स्व-परिवर्तन से विश्व परिवर्तन करने के निमित्त बनते हैं।