Wednesday, July 31, 2013

Murli [31-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-तुम इस रूहानी युनिवर्सिटी में आये हो बुद्धू से बुद्धिवान बनने, बुद्धिवान अर्थात् पवित्र, पवित्र बनने की पढ़ाई तुम अभी पढ़ते हो'' 


प्रश्न:- बुद्धिवान बच्चों की मुख्य निशानी सुनाओ? 
उत्तर:- बुद्धिवान बच्चे ज्ञान में सदा रमण करते रहेंगे। उन्हें मौलाई मस्ती चढ़ी हुई होगी। उनकी बुद्धि में सारे सृष्टि चक्र की नॉलेज रहती। नशा रहता कि हमारा बाबा हमारे लिए परमधाम से आया हुआ है। हम उनके साथ परमधाम में रहते थे। हमारा बाबा ज्ञान का सागर है, हम अभी मास्टर ज्ञान सागर बने हैं। हमें वह मुक्ति-जीवनमुक्ति का वर्सा देने आये हैं। 

गीत:- कौन आया मेरे मन के द्वारे........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) बुद्धि से सब कुछ सरेन्डर कर ट्रस्टी हो रहना है। बहुत सम्भाल से श्रीमत प्रमाण हर कार्य करना है। 

2) बाबा और वर्से को याद कर अपार खुशी का अनुभव करना है। बाबा की याद में मौलाई बन जाना है। सच्चा आशिक बनना है। 

वरदान:- कराने वाला करा रहा है - इस स्मृति द्वारा निमित्त बन हर कर्म करने वाले बेपरवाह बादशाह भव 

चलाने वाला चला रहा है, कराने वाला करा रहा है - इस स्मृति द्वारा निमित्त बनकर हर कर्म करते चलो तो बेपरवाह बादशाह रहेंगे। ''मैं कर रहा हूँ'' - यह भान आया तो बेपरवाह नहीं रह सकते। लेकिन बाप द्वारा निमित्त बना हुआ हूँ - यह स्मृति बेफिकर वा निश्चिंत जीवन का अनुभव कराती है, कल क्या होगा उसकी भी चिंता नहीं। उन्हें यह निश्चय रहता कि जो हो रहा है वह अच्छा और जो होने वाला है वह और भी बहुत अच्छा, क्योंकि कराने वाला अच्छे ते अच्छा है। 

स्लोगन:- अपने शान्ति और सुख के वायबेशन से हर एक को सुख चैन की अनुभूति कराओ तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।