Thursday, July 25, 2013

Murli [25-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-अन्तर्मुखी बन पढ़ाई में तत्पर रहो, श्रीमत पर सदा चलते रहो तो तुम्हारी तकदीर बहुत ऊंच बन जायेगी, यह समय है अपनी तकदीर बनाने का'' 
प्रश्न:- तुम बच्चों की ऊंची तकदीर कौन सी है जिसके आधार पर तुम सारे सृष्टि की तकदीर को जान लेते हो? 
उत्तर:- स्वदर्शन चक्रधारी बनना-यह है सबसे ऊंचे ते ऊंची तकदीर। तुम ब्राह्मण अभी स्वदर्शन चक्रधारी बने हो। तुम अपनी भी तकदीर को जानते हो तो सारे सृष्टि की भी तकदीर को जानते हो। बाबा आये हैं तुम बच्चों की हीरे समान तकदीर बनाने। स्मृति में रहे स्वयं भगवान हमारी तकदीर बनाने लिए पढ़ा रहे हैं तो तकदीर बनती रहेगी। 
गीत:- आने वाले कल की तुम........ 
धारणा के लिए मुख्य सार:- 
1) अपनी ऊंच तकदीर बनाने में गफ़लत नहीं करनी है। श्रीमत पर अच्छी रीति चल पढ़ाई के आधार से ऊंची तकदीर बनानी है। 
2) प्राणेश्वर बाप की याद में रह सबको प्राण दान देना है। सबके प्राण बचाने हैं। किसी को भी दु:खी नहीं करना है। 
वरदान:- सुख स्वरूप बन सारे विश्व में सुख की किरणें फैलाने वाले मास्टर ज्ञान सूर्य भव 
जैसे बाप ज्ञान का सागर, सुख का सागर है वैसे स्वयं भी ज्ञान स्वरूप, सुख स्वरूप बनो, हर गुण का सिर्फ वर्णन नहीं लेकिन अनुभव हो। जब सुख स्वरूप के अनुभवी बनेंगे तो आप सुख स्वरूप आत्मा द्वारा सुख की किरणें विश्व में फैलेंगी। जैसे सूर्य की किरणें सारे विश्व में जाती हैं वैसे आपके ज्ञान, सुख, आनंद की किरणें जब सर्व आत्माओं तक पहुंचेंगी तब कहेंगे मास्टर ज्ञान सूर्य। 
स्लोगन:- दिव्य जन्मधारी ब्राह्मण वह है जो अपने बोल, संकल्प और कर्म से दिव्यता का अनुभव कराये।