Saturday, July 27, 2013

Murli [27-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे - देह सहित सब कुछ भूल पूरा बेगर बनो, शिवपुरी और विष्णुपुरी से अपना बुद्धियोग लगाओ'' 

प्रश्न:- किस बात में तुम बच्चों को बाप समान फ्राकदिल बनना है? 
उत्तर:- जैसे बाबा फ्राकदिल बन तुम बच्चों से कखपन ले तुम्हें विश्व की बादशाही देते हैं। ऐसे तुम्हें भी फ्राकदिल बनना है। जगह-जगह पर गाडली युनिवर्सिटी खोल दो। 3-4 ने भी अच्छा पद पाया तो अहो सौभाग्य। सपूत बन सतगुरू का शो करो। कभी भी किसी से पैसा आदि नहीं मांगो। 

गीत:- बचपन के दिन भुला न देना...... 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) किसी भी चीज़ में आसक्ति नहीं रखनी है। देही-अभिमानी होकर रहना है। याद का कवच सदा पहनकर रखना है। 

2) नींद को जीत श्वाँसों श्वाँस बाप को याद करना है, ज्ञान का सिमरण कर कमाई जमा करनी है। बुद्धि की मथानी चलानी है। 

वरदान:- सदा बाप समान बन अपने सम्पन्न स्वरूप द्वारा सर्व को वरदान देने वाले वरदानी मूर्त भव 

भारत में विशेष देवियों को वरदानी के रूप में याद करते हैं। लेकिन ऐसे वरदानी मूर्त वही बनते हैं जो बाप के समान और समीप रहने वाले हों। अगर कभी बाप समान और कभी बाप समान नहीं लेकिन स्वयं के पुरुषार्थी हैं तो वरदानी नहीं बन सकते क्योंकि बाप पुरुषार्थ नहीं करता वो सदा सम्पन्न स्वरूप में है। तो जब समान अर्थात् सम्पन्न स्वरूप में रहो तब कहेंगे वरदानी मूर्त। 

स्लोगन:- याद की तीव्र दौड़ी लगाओ तो बाप के गले का हार, विजयी मणके बन जायेंगे।