Tuesday, July 16, 2013

Murli [16-07-2013]-Hindi

मुरली सार:- ''मीठे बच्चे-सर्विस की नई-नई इन्वेन्शन निकालो, सेवा का विस्तार करो, 
सेवा के क्षेत्र में माताओं को आगे करना ही सफलता का साधन है'' 

प्रश्न:- किस मैनर्स के साथ बात करो तो अथॉरिटी के बोल तुम सिद्ध कर सकते हो? 
उत्तर:- जब भी किसी बड़े से बात करते हो तो 'आप-आप' कहकर बात करनी चाहिए। तू-तू 
कहकर नहीं। यह भी मैनर्स है। तुम अपनी अथॉरिटी से बोलो लेकिन रिस्पेक्ट जरूर दो। स्कूल 
में यह भी मैनर्स सिखलाये जाते हैं। 2- कभी भी अहंकार से बात नहीं करनी चाहिए। ज्ञान के 
नशे में सदा हर्षितमुख रहो। हर्षित चेहरा भी बहुत सेवा करता है। 

गीत:- आज के इस इंसान को........ 

धारणा के लिए मुख्य सार:- 

1) एम ऑब्जेक्ट को सामने रख पुरुषार्थ करना है। दैवी मैनर्स धारण करने हैं। एक कान से 
सुन दूसरे से निकालना नहीं है। 

2) विश्व रचयिता बाप हमें पढ़ा रहे हैं, उनके हम स्टूडेन्ट हैं-इस नशे में रहना है। सर्विस की 
भिन्न-भिन्न युक्तियां निकाल उसमें बिजी रहना है। 

वरदान:- आवाज से परे श्रेष्ठ स्थिति में स्थित रह शान्ति की शक्ति का अनुभव करने वाले मा. बीजरूप भव 

आवाज से परे रहने की श्रेष्ठ स्थिति सर्व व्यक्त आकर्षणों से परे न्यारी और प्यारी शक्तिशाली 
स्थिति है। एक सेकण्ड भी इस श्रेष्ठ स्थिति में स्थित हो जाओ तो उसका प्रभाव सारा दिन 
कर्म करते हुए भी स्वयं में विशेष शान्ति की शक्ति का अनुभव करेंगे। इसी स्थिति को कर्मातीत 
स्थिति, बाप समान सम्पूर्ण स्थिति कहा जाता है। यही मास्टर बीजरूप, मास्टर सर्वशक्तिवान 
की स्थिति है, इस स्थिति द्वारा हर कार्य में सफलता का अनुभव होता है। 

स्लोगन:- महान आत्मा वह है जिसका हर बोल महावाक्य है।